समाज

पिथौरागढ़ में नाचनी कस्बे के नाम की कहानी

नाचनी एक छोटा सा क़स्बा है जो पिथौरागढ़ ज़िले के तल्ला जोहार में अवस्तिथ है. इसकी भौगोलिक संरचना एक V आकार की घाटी है जिसका निर्माण युवावस्था में नदियों द्वारा अपरदन से होता है. Etymology of Nachani Pithoragarh

नाचनी का सामाजिक विन्यास मिश्रित प्रकार का है जिसमें नगरीय एवं ग्रामीण समाज दोनों का समावेश है. साथ ही यहाँ किसी भी जाति, जनजाति के प्रभुत्व का कोई साक्ष तथा प्रारूप दिखलाईं नहीं पड़ता. अतः सामाजिक संरचना मिश्रित एवं सामवेशी है.

नाचनी के  शब्दार्थ, नामकरण, नाम की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकार, ब्रिटिश विद्वान, यात्रा वृतांत, पुरातत्वविक साक्ष के साथ-साथ बाबा गूगल ने भी मौनव्रत धारण किया हुआ है. इतिहासकार बी. डी. पाण्डे की पुस्तक कुमाऊँ का इतिहास, एटकिंसन की हिमालयन गज़ेटीअर, देवेंद्र सिंह पोखरिया रचित लोक संस्कृति एवं साहित्य, डॉ राम सिंह की सोर घाटी के इतिहास, जिम कॉर्बेट की मैन ईटर्ज़ ऑफ़ कुमाऊँ इत्यादि में भी नाचनी के नामकरण की कोई जानकारी नहीं है.

सामान्यत, कुमाऊँ  की लोक संस्कृति में नदी, जाति, फ़सल, पहाड़, देवता आदि के नाम पर गाँव, क़स्बों का नामकरण किया गया है. लेकिन नाचनी शब्द का स्थानीय नदी, पहाड़, जाति, देवता से कोई प्रत्यक्ष संबंध भी ज्ञात नहीं है. हमारे पुरखों एवं बुज़ुर्गों की लोक कहावतों तथा दंत कथाओं में भी कोई तार्किक रूप से मान्य उत्तर नही मिलता. साथ ही नाचनी शब्द का संबंध पुराण, आर्य, ख़स, किरात, गोरखा, अंग्रेज़, भोटिया जनजाति से भी नहीं मिलता. Etymology of Nachani Pithoragarh

नाचनी नाम के शब्दार्थ एवं उत्पत्ति के सम्बंध में अध्ययन के लिए मैंने दो निम्नलिखित अभिधारणाओं का एक परिकल्पना से  तार्किक संबंध स्थापित कर अपने मत को आकार दिया.

प्रथम अभिधारणा का संबंध नाचनी के शब्दार्थ से है. स्थानीय बोली में कुमाऊंनी, नेपाली एवं शौक़िया का प्रभाव है परंतु तीनों बोलियों में इस शब्द का कोई अर्थ, प्रयोग ज्ञात नहीं है. नाचनी शब्द का ध्वनिक प्रयोग स्थानीय बोली में नचणी, नाचणी, नाछणी के रूप में किया जाता है.

नाचणी की समरूपता मराठी भाषा के नाचणी शब्द से मेल खाती है, जिसका शाब्दिक अर्थ हिंदी में रागी अथवा मंडुआ होता है. कोंकण की भाषा, जो मराठी से मिलती जुलती है, में भी नाचणी शब्द का प्रयोग मंडुआ के लिए होता है. तेलुगु भाषा में नाचणी का प्रयोग जोवार और रागी फ़सल से मिलता है. मराठी बहुल क्षेत्रों में नाचनी आटा, नाचनी पराठा, नाचनी घावन, नाचनी लड्डू, नाचनी खीर जैसे शब्द प्रचलित है.

प्रथम अभिधारणा के सत्यापन के बाद दूसरी अभिधारणा मंडुआ और नाचनी से जुड़ी है. मंडुआ को मराठी में नाचनी बोला जाता है इसका रागी नाम हिंदी में आम रूप से प्रचलित है. मंडुआ को फिंगर मिलेट (Finger Millet) के रूप में जाना जाता है. मंडुआ मुख्यतः अफ़्रीका की फ़सल है जिसे 2000 ईसा पूर्व भारत में लाया गया. यह फ़सल भारत और नेपाल के हिमालयी क्षेत्रों में बोयी जाती है. नाचनी के क्षेत्रों में भी मंडुआ के पैदावार के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ प्रचुर रूप से उपलब्ध है.  Etymology of Nachani Pithoragarh

कुछ दशकों पूर्व मण्डुआ यहाँ के मूल भोजन में शामिल था, किंतु जीवन शैली में बदलाव एवं अत्यधिक पलायन के कारण मंडुआ के उत्पादन में अत्यधिक गिरावट दर्ज हुईं है. अभी भी आस-पास के कुछ गाँवों में मण्डुआ उत्पादन होता है. निस्सन्देह, नाचनी मण्डुआ पैदावार का क्षेत्र था.

अंतत: इस परिकल्पना के प्रारूप को आकार देने में कुछ सवालों ने सहायता की. जैसे नाचनी को मराठी शब्द किसने और क्यों दिया? क्या कोई यात्री था? उक्त सवालों ने नाचनी, मण्डुआ और मराठी के मध्य लुप्त कड़ी को खोजने की जिज्ञासा उत्पन्न की.

स्थानीय फ़सलों, जातियों, जनजातियों, यात्रियों, राजवंशों, गाँवों आदि के ऐतिहासिक छानबीन से निष्कर्ष आया कि नाचनी क्षेत्र की कुछ राजपूत जातियाँ मूलरूप से स्थानीय है कुछ जातियों का संबंध अन्य राज्यों, क्षेत्रों जैसे नेपाल, संयुक्त प्रांत से संबंध है. शाही का नेपाल, धामी का चित्तोरगढ़, महर का राजपूताना, महरा का मैनपुरी, कार्की का नेपाल और चितोरगढ़, मेहता का झाँसी से पलायन का संबंध कुमायूँ के इतिहास में दर्ज है. एटकिंसन और बी. डी. पाण्डेय के अनुसार इस क्षेत्र की ब्राह्मण जाति  जोशी तथा राजपूत जातियों दाणो, मरहटा वंश के महर, दानवंशी बोरा  इत्यादि का संबंध बम्बई और दक्षिण से है.

यद्यपि, मराठा शासन के इतिहास पार एक सरसरी निगाह डालने से पता चलता है कि मराठाओं पर आक्रमण के दौरान अनेक जातियों ने मराठा क्षेत्र से पलायन कर कुमाऊं, मारवाड़, संयुक्त प्रांत में शरण ली. इन जातियों में प्रमुख रूप से जोशी जाति ने पलायन किया तथा राजस्थान और कुमाऊँ में शरण ली. इतिहासकार बी. डी. पांडेय के अनुसार जोशी जाति ने कुमाऊं के आल्मोड़ा, दन्या, जागेश्वर, जोहार में शरण ली. निष्कर्षत: इन जातियों के मराठी सम्बंध एवं नाचनी के नाम में सम्बंध की झलक देखी जा सकती है. Etymology of Nachani Pithoragarh

यह लेख हमें काफल ट्री की इमेल आईडी पर दीपक कुमार जोशी ने भेजा है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • लेखक ने काफ़ी सार्थक अनुसंधान किया है "नाचणी" शब्द पर ।

Recent Posts

कानून के दरवाजे पर : फ़्रेंज़ काफ़्का की कहानी

-अनुवाद : सुकेश साहनी कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है. उस देश का एक…

2 days ago

अमृता प्रीतम की कहानी : जंगली बूटी

अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की…

4 days ago

अंतिम प्यार : रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी

आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे…

5 days ago

माँ का सिलबट्टे से प्रेम

स्त्री अपने घर के वृत्त में ही परिवर्तन के चाक पर घूमती रहती है. वह…

6 days ago

‘राजुला मालूशाही’ ख्वाबों में बनी एक प्रेम कहानी

कोक स्टूडियो में, कमला देवी, नेहा कक्कड़ और नितेश बिष्ट (हुड़का) की बंदगी में कुमाऊं…

1 week ago

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

1 week ago