फोटो: महेंद्र जंगपांगी की फेसबुक वाल से साभार
पिथौरागढ़ जिले में थल के पास दो गांव हैं – अल्मियां और बलतिर. अल्मियां और बलतिर गांव के बीच एक चट्टान है जिसे भोलियाछीड़ कहा जाता है इसी चट्टान पर मौजूद है एक अनूठा शिव मंदिर. लगभग आठवीं सदी में बना लगने वाला यह मंदिर दुनिया भर में चर्चित है. कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक ही रात में किया.
(Ek Hathiya Deval Pithoragarh)
इस बात की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि यह मंदिर कब बना लेकिन इसके स्थापत्य को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मंदिर का निर्माण कत्यूर साम्राज्य में हुआ था. इस मंदिर का स्थापत्य जितना रोचक है उतना ही रोचक है इस मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी हुई कुछ अन्य मान्यतायें.
इस मंदिर के निर्माण के विषय में दो कहानियां प्रचलित हैं. पहली कहानी के अनुसार भोलियाछीड़ चट्टान के पास स्थित गांव में गुणी शिल्पकार रहता था. एकबार किसी दुर्घटना में उसका एक हाथ काम करने योग्य न रहा. जब शिल्पी का एक हाथ न रहा तो गांव के लोगों ने उसकी उलाहना करनी शुरु कर दी. गांव वालों की उलाहनों से परेशान होकर शिल्पी एक रात अपनी छिनी और हथौड़ा लेकर निकला उसने गांव के दक्षिण में रातों रात चट्टान काटकर इस मंदिर का निर्माण कर दिया और फिर कभी गांव न लौटा.
(Ek Hathiya Deval Pithoragarh)
दूसरी कहानी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण करने वाले शिल्पी ने इससे पहले किसी क्रूर राजा के लिये बेहद सुंदर महल बनाया. भविष्य में शिल्पी इससे सुंदर महल का निर्माण न कर पाये इसलिए राजा ने उसका एक हाथ काट दिया. शिल्पी ने राजा सबक सिखाने के लिये एक रात में इस मंदिर का निर्माण कर दिया.
इस मंदिर में चट्टान काटकर बनाया गया शिवलिंग देखकर दोनों कहानियों में कुछ सच्चाई भी लगती है. मंदिर का शिवलिंग दक्षिणमुखी है जिसे उत्तरमुखी होना चाहिये. कहा जाता है कि रात्रि के अंधकार में दिशाभ्रम होने के कारण शिल्पी ने दक्षिणमुखी शिवलिंग का निर्माण कर दिया. दक्षिणमुखी शिवलिंग होने के कारण ही इस मंदिर में कभी पूजा नहीं की जाती है. मंदिर के पास स्थित नौले में जरुर स्थानीय लोग लोकपर्वों पर जुटते हैं लेकिन मंदिर में पूजा अर्चना नहीं करते हैं. धार्मिक मान्यता से इतर यह मंदिर अपने अनूठे स्थापत्य के लिये लोकप्रिय है जिसके प्रचार प्रसार पर प्रशासन की बेरुखी जगजाहिर है.
(Ek Hathiya Deval Pithoragarh)
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
हरि दत्त कापड़ी का जन्म पिथौरागढ़ के मुवानी कस्बे के पास चिड़ियाखान (भंडारी गांव) में…
तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…
मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…
इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…
कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…