समाज

आज से सौ साल पहले केवल एक प्राइमरी स्कूल था हल्द्वानी में

1914-15 में हल्द्वानी में जिला परिषद नैनीताल द्वारा संचालित केवल एक प्राथमिक पाठशाला थी. 1913-14 में इसमें 45 छात्र थे. अगले वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 77 हो गयी थी. अधिसूचित क्षेत्र समिति इस के लिए जिला परिषद्, नैनीताल को प्रति वर्ष 482 रुपये अंशदान दिया करती थी. (Early Education Scenario in Haldwani)

1918-19 में इस विद्यालय की छात्र संख्या 181 हो गयी किन्तु 1920-21 में घट कर 153 रह गयी. छात्र संख्या में उतार-चढाव का प्रमुख कारण यहाँ रहने वाले लोगों की संचरणशीलता थी. लोग मार्च के बाद पहाड़ों पर स्थित अपने घरों को लौट जाते थे और नवम्बर में पुनः भाबर आना आरंभ करते थे. (Early Education Scenario in Haldwani)

1924-25 तक हल्द्वानी में एक प्राथमिक पाठशाला, एक कन्या पाठशाला और बनभूलपूरा में मकतब की स्थापना हो चुकी थी. तीनों ही जिला परिषद् नैनीताल के स्कूल थे. इस वर्ष नगरपालिका ने जिला परिषद को 1592 रुपया शिक्षा अंशदान दिया था.

1925-26 में हल्द्वानी में अंगरेजी स्कूल की अथापना हो चुकी थी. इसका नाम एडी इंग्लिश स्कूल था लेकिन यह मान्यता प्राप्त नहीं था. इसे मान्यता प्रदान करने के लिए कुमाऊँ प्रखंड के सहायक निरीक्षक को लिखा गया था. इससे लगता है कि तब नगर में अंगरेजी शिक्षा के प्रति रुझान आरम्भ हो गया था.

मार्च 1926 तक कालाढूंगी मार्ग में स्थित लड़कों की प्राथमिक पाठशाला में कुल 30 छात्र अध्ययनरत थे. इनमें दो अपर प्राइमरी में और 28 लोअर प्राइमरी में थे. एडी स्कूल में 84 बच्चे पढ़ रहे थे. लड़कियों की प्राथमिक पाठशाला में अपर प्राइमरी में 2 और लोअर प्राइमरी में 41 छात्राएं थीं

मकतब और कन्या पाठशाला जिला परिषद द्वारा ही संचालित थे. अधिसूचित क्षेत्र समिति जिला परिषद नैनीताल मकतब के लिए 160 रुपये और कन्या पाठशाला के लिए 420 रुपया वार्षिक अंशदान दे रही थी. एडी इंग्लिश स्कूल में अध्यापकों के वेतन पर समिति ने 1065 रुपया 08 आना खर्च किया था.

1928-29 में अधिसूचित क्षेत्र शिक्षा समिति ने शिक्षा पर 1977 रुपया व्यय किया. इसमें से 1280 रुपया हल्द्वानी में मकतब और पाठशालाओं के लिए अंशदान के रूप में दिया गया. काठगोदाम स्थित प्राथमिक पाठशाला के रखरखाव के लिए 50 रुपया और एडी स्कूल को 122 रुपया 09 आना अनुदान दिया गया था.

1930 से 1940 तक के आलेखों से शिक्षा व्यवस्था के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती. 1940-41 की वार्षिक प्रशासनिक आख्या से ज्ञात होता है कि अधिसूचित क्षेत्र समिति का शिक्षा बजट बढ़कर 5400 रुपया हो गया था. इसमें स्कूलों और मकतबों के रखरखाव के लिए जिला परिषद नैनीताल को 2480 रुपया अंशदान दिया गया था. 1931 में स्थापित मोतीराम बाबूराम एंग्लो वर्नाक्यूलर मिडिल स्कूल को, जो 1940 तक मोतीराम बाबूराम हाईस्कूल बन चुका था, 1800 रुपया अनुदान दिया गया था. 1940-41 तक नगर में मुस्लिम कन्या पाठशाला की स्थापना हो चुकी थी और समिति उसे 430 रुपया अनुदान दे रही थी. एक अन्य स्कूल बी. बंधुलाल स्कूल को 30 रुपया प्रति मास, जुलाहा मस्जिद से जुड़े मकतब को 05 रुपया प्रति मास और सफाई कर्मियों के स्कूल को 100 रुपया अनुदान दिया जा रहा था.

1945-46 में नगर में तीन प्राथमिक पाठशालाएं थीं. इनमें अपर प्राइमरी में 110 तथा लोअर प्राइमरी में 340 बच्चे पढ़ रहे थे. लड़कियों के तीन स्कूल थे. बनभूलपुरा मकतब में 96 छात्र थे जबकि मोतीराम बाबूराम हाईस्कूल जो कि अंगरेजी माध्यम का स्कूल था, में 380 छात्र थे.

हल्द्वानी की मुख्य प्राथमिक पाठशाला कालाढूंगी रोड में थी. इसमें 210 बच्चे थे जबकि प्राथमिक पाठशाला काठगोदाम में 144. एक संस्कृत पाठशाला भी थी और इसमें 42 बच्चे थे. गर्ल्स मिडिल स्कूल में 143 छात्राएं थीं.

1925 से हल्द्वानी के विकास के प्रत्यक्षदर्शी रहे स्वाधीनता-सेनानी श्री भोलादत्त पाण्डे ने लेखिका को बताया – “हल्द्वानी मैंने देखा आठ तक. एम.बी. एंग्लो वर्नाक्यूलर स्कूल था. इसमें अंगरेजी भी थी. मेरे आने के बाद हाईस्कूल हुआ और कोई स्कूल नहीं था. प्राइमरी स्कूल था. कालाढूँगी रोड स्कूल. सबसे पुराना यही है. एक मुसलामानों का मकतब, एक सदर बाजार में ऊपर दो मंजिले में. बाद में राजपुर में बना. हां, संस्कृत विद्यालय, रेलवे बाजार वाला, जरूर था.”

“मितरानी ने ललित महिला स्कूल स्वराज आश्रम में खोला, आजादी के बाद. पहले प्राइमरी था. फिर जूनियर. वर्तमान विद्यालय स्थल पर पहले एक सराय थी. डाक्टरनी ने इसे म्यूनिसिपल बोर्ड से माँगा. ललित शायद उनका लड़का रहा था. शायद गुजर गया. बाद में आर्य समाज ने ले लिया.”

1949-50 में नगर में प्राथमिक पाठशालाओं की संख्या बढ़कर 06 हो गयी उनमें कुल 1288 बच्चे पढ़ रहे थे. एम. बी. हाईस्कूल में 681 छात्र थे जबकि ललित महिला स्कूल में 81.

18 जून 1951 को जिला परिषद ने नगर में स्थित अपने कन्या जूनियर हाईस्कूल को बंद कर दिया. फलतः नगरपालिका ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वर्तमान जूनियर हाईस्कूल को उच्चतर माध्यमिक बना दिया जाय. 2 सितम्बर 1952 को नगर में कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना हुई.

1952-53 में नगर में खालसा नेशनल गर्ल्स स्कूल की स्थापना हुई. 1956-57 तक गांधी स्कूल भी बन चुका था.

निजी क्षेत्र में अंगरेजी माध्यम से स्कूलों की स्थापन का आरम्भ 19 54 में टिक्कू मॉडर्न स्कूल से हुआ. 1956 में मिशन स्कूल बना.

वर्तमान में हल्द्वानी भाबर और पहाड़ के बच्चों के लिए सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र बन चुका है.


(डॉ. किरन त्रिपाठी की पुस्तक ‘हल्द्वानी: मंडी से महानगर की ओर’ से साभार)        
 

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