ऐसे खराब माहौल में कैसे नैनीताल के बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएं दी जाएं

आज बाल दिवस है और इसकी शुभकामनाएं देनी चाहिए. मैंने बचपन से ही नैनीताल को वक़्त के साथ बदलते हुए देखा है पर पिछले 3-4 साल से यहाँ जो हो रहा है उसे देखकर दुख और गुस्सा दोनों है. Drug addicted Street children of Nainital

आप शाम को झील के किनारे टहलने को निकल जाइये, बच्चों के झुंड हाथों में गुब्बारे लिए आपको घेर लेंगे. ये मजबूर कर देंगे कि या तो आप गुब्बारा खरीद लें या फिर उन्हें 10 रुपये देकर अपनी जान छुड़ा लें. Drug addicted Street children of Nainital

करीब 20 से 30 बच्चे पूरे नैनीताल में आपको ऐसे मिलेंगे और ये सब नैनीताल के ही निवासी हैं. ज्यादातर से पूछने में हरिनगर तल्लीताल का ही पता बताते हैं. हालात की मजबूरी के कारण बच्चों का काम करना गलत नहीं भी कहा जा सकता हो पर आपको ये जानकर यकीनन गहरा आघात लगेगा कि इन 20-30 बच्चों में से ज्यादातर नशा करके घूमते हैं. इनकी उम्र 6 से 14 साल के आसपास है. आधे लड़के और लगभग आधी लडकियां हैं. 

सबसे आश्चर्य की बात है कि सभी लोकल लोग यह बात अच्छे से जानते हैं कि ये बच्चे नशा करके घूम रहे हैं पर किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. ये लोग ये नहीं सोच रहे हैं कि आने वाले कुछ ही समय में ये छोटे नशेड़ी बच्चे ही चोरियां, खून करेंगे और लड़कियां वैश्यावृति और दूसरे गलत काम. इनका सीधा असर समाज पर ही होगा. 

माल रोड और ठंडी सड़क में बड़े बड़े अफसर भी गार्ड के साथ टहलते हुए हमेशा देखे जाते हैं पर उनके द्वारा भी कभी कुछ नहीं किया गया.

इस साल जनवरी के महीने में मैंने एक लड़के को नशा बेचते हुए पकड़ा था और नशे की बोतल और कुछ नशे की दवाइयों के साथ पकड़कर तल्लीताल पुलिस को सौप दिया था. पर 2 दिन के बाद फिर उसे उन बच्चों के पीछे जाते हुए देखा था और रोककर पूछा भी था कि तू कैसे छूट गया तो उसका जवाब था कि 2 दिन अंदर रखा मुझे और फिर छोड़ दिया.

ये लड़का आज भी इन बच्चों को नशा बेचता है और शायद कई बार पकड़ा भी जा चुका है और छोड़ा जा चुका है. 

ये मासूम बच्चे अपनी आर्थिक मजबूरी के कारण गुब्बारे या गुड़िया के बाल बेच रहे हैं पर केवल एक नशेड़ी लड़के के द्वारा इन्हें जबरदस्ती नशा करवाकर और बाद में नशे का लती बनाकर नशा बेचा जा रहा है. ऐसे खराब माहौल को देखकर कैसे बाल दिवस की शुभकामना दी जाये.

अमित साह

फोटोग्राफर अमित साह ने बीते कुछ वर्षों में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. नैनीताल के ही सीआरएसटी इंटर कॉलेज और उसके बाद डीएसबी कैंपस से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अमित ने बी. कॉम. और एम.ए. की डिग्रियां हासिल कीं. फोटोग्राफी करते हुए उन्हें अभी कोई पांच साल ही बीते हैं.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • बहुत ज्वलंत और गंभीर समस्या उठाई है आपने । मुझे लगता है कि यह समस्या किसी एक व्यक्ति के नशा बेचने की नहीं, संगठित समूह की होगी । इसे अधिक फैलने से पहले ही खत्म कर देना चाहिए ।

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago