खेल

जब भारतीय टीम के लिए शैंपेन का बंदोबस्त वेस्टइंडीज खेमे ने किया

भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट को बहुत ऊँचा दर्जा हासिल है. 83 के वर्ल्ड कप के बाद तो यहाँ क्रिकेट का जुनून सर चढ़कर बोलने लगा.

83 के वर्ल्ड कप को हाथों में लिए कपिल देव की तस्वीर देखते-देखते कई पीढ़ियां जवान हुई. तब क्रिकेट जेंटलमैन गेम कहलाता था. ताकत, जोर आजमाइश जैसे साधनों के बजाय क्लास और टेक्निक को सराहा जाता था. 92 से पहले तक सभी टीमें व्हाइट किट्स में ही खेलती थी.

विवियन रिचर्ड्स के बल्ले से निकले ऊँचे शॉट पर कपिल देव निगाह गड़ाए लगभग 20 गज दौड़े. निगाहें गेंद पर ही स्थिर रखी और दौड़ते चले गए, अन्य खिलाड़ियों को दोनों हाथ हिला-हिलाकर मना करते रहे. जैसे ही उन्होंने इस असंभव कैच को लपका, मैच का रुख पलट गया.

जैसे ही उन्होंने कैच लपका, स्टेडियम से कुछ उत्साही फैंस मैदान में घुसकर उनको शाबाशी देने लगे. कपिल इस अनचाही शाबाशी से  छिटककर बच निकले.

तब खिलाड़ियों को मैच जीतने में तो जान लड़ानी ही पड़ती थी. साथ ही दर्शकों से खुद को बचाने में दोहरी मशक्कत करनी पड़ती थी.

वेस्टइंडीज के आखिरी विकेट गिरने वाला दृश्य कौन भूल सकता है. जैसे ही शर्मीले जिम्मी (मोहिंदर अमरनाथ) ने वेस्टइंडीज का आखिरी विकेट लिया, तीर की तरह दौड़कर स्टंप उखाड़ा और मुस्कुराते हुए पवेलियन की तरह दौड़ लगा दी. आगे-आगे दौड़ते हुए खिलाडी, पीछे-पीछे भागता दर्शकों का हुजूम.

अंडरडॉग माने जाने वाली टीम इंडिया ने वह करिश्मा कर दिखाया.

टीम इंडिया मैच जीतने को लेकर आश्वस्त नहीं रही होगी, इसलिए उसने शैंपेन का पेशगी इंतजाम नहीं किया था. यह बंदोबस्त वेस्टइंडीज ने किया हुआ था. उसकी उस समय क्रिकेट में तूती बोलती थी. अच्छी स्पोर्ट्स स्पिरिट का दौर था. तो शैंपेन का बंदोबस्त वेस्टइंडीज के खेमे से किया गया. लॉर्ड्स की बालकनी का वह फोटोशूट यादगार बन गया.

उत्तराखण्ड सरकार की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत ललित मोहन रयाल का लेखन अपनी चुटीली भाषा और पैनी निगाह के लिए जाना जाता है. 2018 में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘खड़कमाफी की स्मृतियों से’ को आलोचकों और पाठकों की खासी सराहना मिली. उनकी दूसरी पुस्तक ‘अथ श्री प्रयाग कथा’ 2019 में छप कर आई है. यह उनके इलाहाबाद के दिनों के संस्मरणों का संग्रह है. उनकी एक अन्य पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य हैं. काफल ट्री के नियमित सहयोगी.

वाट्सएप पर हमारी पोस्ट प्राप्त करें: Watsapp kafal tree

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online





काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

20 hours ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago