नैनीताल लोकसभा सीट पर भाजपा नेताओं ने चुनाव के लिहाज से अपनी राजनैतिक सक्रियता बढ़ा दी है. पहले नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोश्यारी को टिकट की दौड़ से उम्र की अधिकता के कारण बाहर माना जा रहा था, वहीं तेजी से बदलते राजनैतिक समीकरणों के बाद अब कोश्यारी का टिकट एक बार फिर से पक्का माना जा रहा है. कोश्यारी भले ही इस समय 75 साल से ऊपर के हो गए हों, लेकिन चुनावी भाग-दौड़ के लिहाज से वे अभी पूरी तरह फिट भी हैं और अपने संसदीय क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी है. गत लोकसभा चुनाव की अपेक्षा जिस तरह से प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में गिरावट आई है, उसने भाजपा के रणनीतिकारों को एक बार फिर से अपनी रणनीति में बदलाव करने को मजबूर किया है और यह माना जाने लगा है कि कोश्यारी जैसे नेताओं को केवल बढ़ती उम्र के आधार पर ही चुनावी मैदान से बाहर नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा इसके परिणाम पार्टी के लिए घातक भी हो सकते हैं. बदली परिस्थिति में कोश्यारी अब फिर से टिकट के मजबूत दावेदारों में शामिल हो गए हैं, हालांकि पिछलों दिनों पुलवामा हमले और उसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ किए गए हवाई हमले से उत्तराखण्ड में मोदी की “मजबूती” से भाजपा नेतृत्व बहुत खुश है. पर इसके बाद भी वह पार्टी प्रत्याशी को लेकर कोई खतरा मोल लेगा, इसकी सम्भावना कम ही है.
नैनीताल सीट पर इस समय पार्टी के पास कोश्यारी से अधिक मजबूत नेता दूसरा नहीं है. कोश्यारी की दावेदारी को एक बार फिर से मजबूत यहां के उन 6 भाजपा विधायकों ने भी किया, जो पिछले दिनों कोश्यारी को ही फिर टिकट दिए जाने की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिले और उनकी जोरदार पैरवी नेतृत्व के सामने की. इन विधायकों की शाह से मुलाकात भाजपा के राज्य प्रभारी श्याम जाजू के साथ हुई. इन विधायकों में खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी, नानकमत्ता के विधायक प्रेम सिंह राणा, सितारगंज के विधायक सौरभ बहुगुणा, बाजपुर के विधायक व परिवहन मन्त्री यशपाल आर्य, नैनीताल के विधायक संजीव आर्य और काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा शामिल थे. मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी कोश्यारी को टिकट दिए जाने के पक्ष में हैं. पहले कई बार चुनाव न लड़ने की बात कहने वाले कोश्यारी भी इन दिनों बदले से नजर आ रहे हैं. वे भी अब अपने बयान में कहने लगे हैं कि पार्टी नेतृत्व का जो भी आदेश होगा वे उसका पालन करेंगे.
कोश्यारी के अलावा पूर्व सांसद बलराज पासी भी प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं. पासी नैनीताल सीट से ही 1991 में रामलहर के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नारायणदत्त तिवारी को हरा कर सांसद बन चुके हैं. यह अलग बात है कि उसके बाद तिवारी ने 1996 में तिवारी कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर पासी को भारी मतों से हराकर अपनी हार का बदला ले लिया था. उसके बाद फिर पासी कभी भी सांसद नहीं बन पाए. अब एक बार फिर से बलराज पासी लोकसभा में जाने की कोशिश में जुट गए हैं. अपनी दावेदारी की मजबूती के लिए पासी पिछले एक साल से इस सीट पर सक्रिय हैं. गत वर्ष एक मार्च 2018 को होली से एक दिन पहले पासी ने हल्द्वानी में होली मिलन का कार्यक्रम एक बैंकेट हाल में किया. जिसमें भाजपा के सभी स्थानीय नेताओं के अलावा पार्टी के कुछ विधायकों, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था. होली का रंग लगाने के बहाने पासी स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ अपनी नजदीकी बढ़ाते देखे गए. इसके बाद पासी ने के पॉश इलाके नैनीताल रोड में एक मकान भी ले लिया.
पासी ने होली मिलन के बहाने अपनी खुली दावेदारी जताई. तब से पासी नैनीताल सीट पर हर तरह के कार्यक्रमों में लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं. पासी के अलावा और दूसरे जो नाम चर्चाओं में आ रहे हैं, उनमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, संसदीय कार्य, वित्त व आबकारी मन्त्री प्रकाश पंत, परिवहन मन्त्री यशपाल आर्य, प्रदेश महामन्त्री गजराज बिष्ट, कालाढूँगी के विधायक बंशीधर भगत व पूर्व केन्द्रीय राज्य मन्त्री बच्ची सिंह रावत आदि शामिल हैं. अजय भट्ट गत विधानसभा चुनाव रानीखेत से हार गए थे. इसके बाद भी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अमित शाह ने उन पर विश्वास बना कर रखा हुआ है. इधर, राज्यसभा के लिए पिछले दिनों हुए चुनाव में भी उन्होंने पर्दे के पीछे से काफी जोर लगाया, लेकिन वे राज्यसभा जाने में विफल रहे और पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी टिकट ले उड़े. राज्यसभा न पहुँच पाने के बाद लोकसभा चुनाव में उनकी दावेदारी भी मजबूत होगी. इसी वजह से प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वे इन दिनों कुछ ज्यादा ही चक्कर नैनीताल लोकसभा सीट के लगा रहे हैं. राज्यसभा न पहुँच पाने की खीज भट्ट ने अपने नजदीकी लोगों के बीच यह कहकर निकाली कि यदि वे पार्टी नेतृत्व की गणेश परिक्रमाा करते तो राज्यसभा पहुँच जाते. अपने लोगों के बीच कही गई यह निजी बात जब मीडिया की सुर्खी बनी तो उन्होंने इस तरह की बात किसी को कहने से स्पष्ट इंकार कर दिया था और कहा कि उनकी राजनैतिक छवि को धूमिल करने के लिए इस तरह की अफवाह उड़ाई गई है.
संसदीय कार्य व वित्त मन्त्री प्रकाश पंत भी लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जा रहे हैं. मुख्यमन्त्री बनने से तीन बार चूकने वाले पंत की दिलचस्पी अब केन्द्र की राजनीति में बताई जा रही है. जिस तरह इस समय अभी भी प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का प्रभाव बना हुआ है, उससे पंत को लोकसभा जाने के लिए इस चुनाव से बेहतर अवसर शायद फिर नहीं मिलेगा. भगत सिंह कोश्यारी के निकट के लोगों में माने जाने वाले प्रदेश महामन्त्री गजराज बिष्ट भी दावेदारों में हैं. उन्होंने इस बारे में पिछले अपनी दावेदारी पेश भी की है. वे महामन्त्री होने के साथ ही देहरादून महानगर के पार्टी प्रभारी भी हैं. गजराज पिछले दो विधानसभा चुनावों से कालाढूँगी विधानसभा सीट से टिकट के प्रमुख दावेदारों में रहे हैं, लेकिन बंशीधर भगत के राजनैतिक कद के आगे उन्हें टिकट से वंचित होना पड़ता रहा है. भाजपा के महामन्त्री बनने से उनके राजनैतिक कद में इजाफा हुआ है. प्रदेश सरकार ने गजराज को पिछले दिनों कृषि-मंडी विपणन परिषद का अध्यक्ष भी बना दिया है. जिसके बाद उन्होंने कहा कि नैनीताल सीट पर उनकी दावेदारी इससे और मजबूत हुई है.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय राज्य मन्त्री बच्ची सिंह रावत भी टिकट के दावेदार हैं. वे अल्मोड़ा लोकसभा सीट से लगातार चार बार 1996, 1998, 1999 व 2004 में सांसद रहे हैं. नए परिसीमन के बाद अल्मोड़ा लोकसभा सीट के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो जाने पर उन्होंने नैनीताल सीट की ओर रुख किया और 2009 का चुनाव लड़ा. पर वे कांग्रेस के केसी सिंह बाबा से चुनाव हार गए. पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भी बचदा टिकट के दावेदार थे, पर भगत सिंह कोश्यारी की दावेदारी के आगे वे कमजोर पड़ गए. टिकट न मिलने से नाराज बचदा ने तब बगावती तेवर भी दिखाए थे, लेकिन भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह के समझाने पर वे मान भी गए. नाराज बचदा ने तब नैनीताल सीट पर कोश्यारी के लिए चुनाव प्रचार तक नहीं किया था और वे अल्मोड़ा सीट पर अजय टम्टा के प्रचार में लगे रहे. वे इस बार किसी भी तरह टिकट पाने की जुगत में हैं. पर खराब स्वास्थ्य उनके टिकट की राह में रोड़ा है.
इसके अलावा कालाढूँगी के विधायक बंशीधर भगत भी पिछले कुछ समय से नैनीताल संसदीय क्षेत्र का दौरा करने में लगे हुए हैं. उन्होंने इस सीट पर अपनी दावेदारी जताते हुए कहा कि पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि इस बार मैं लोकसभा का चुनाव लड़ूँ. कार्यकर्ताओं के मनोभावों का सम्मान करते हुए ही वे लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं. पार्टी नेतृत्व ने अगर उन पर विश्वास किया तो वे अवश्य ही नैनीताल सीट से विजयी होंगे. परिवहन मन्त्री यशपाल आर्य ने भी पिछले दिनों इस सीट से अपनी दावेदारी जताई. उन्होंने कहा कि कोश्यारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. सांसद होने के नाते उनका पहला अधिकार इस सीट पर है. अगर वे किसी कारण से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो तब वे पार्टी नेतृत्व के सामने मजबूती के साथ अपनी दावेदारी पेश करेंगे. वे नैनीताल सीट की राजनीति और यहां की समस्याओं को बहुत अच्छी तरह से जानते, समझते हैं.
कांग्रेस की ओर से इस सीट पर पूर्व मुख्यमन्त्री हरीश रावत, पूर्व सांसद महेन्द्र सिंह पाल, पूर्व सांसद बाबा केसी सिंह, पूर्व मन्त्री तिलक राज बेहड़, वरिष्ठ नेता हुकम सिंह कुँवर, प्रयाग भट्ट आदि के नाम चर्चाओं में हैं. जिस तरह से हरीश रावत लगातार इस सीट पर अपनी राजनैतिक सक्रियता बनाए हुए हैं, उससे कांग्रेस का धड़ा उनका यहां से चुनाव लड़ना बिल्कुल पक्का मान कर चल रहा है. हरीश रावत की सक्रियता को नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश भी पचा नहीं पा रही हैं. पिछले दिनों निकाय चुनाव में महापौर पद पर उनके बेटे सुमित ह्रदयेश की हार के लिए उन्होंने कुछ हद तक हरीश रावत को जिम्मेदार बताया और कहा कि चुनाव प्रचार में आने की बात कह कर भी वे नहीं आए. जो लोग खुद चुनाव लड़ने की चाह रखते हों, लेकिन दूसरों के प्रचार में जाने से बचते हों, ऐसे नेताओं को अपना चुनाव भी याद रखना चाहिए.
अगर कांग्रेस हरीश रावत को और भाजपा कोश्यारी को फिर से इस सीट से चुनाव मैदान में उतारेगी तो नैनीताल सीट पर लोकसभा चुनाव की लड़ाई काफी दिलचस्प रहेगी. पूर्व सांसद महेन्द्र सिंह पाल कांग्रेस से टिकट लेने को लेकर इन दिनों बेहद सक्रिय हो गए हैं. पिछले दिनों उन्होंने काशीपुर जाकर पूर्व सांसद बाबा केसी सिंह से मुलाकात की. बाबा ने भी पाल को एक तरह से अपना समर्थन देते हुए कहा कि वे महेन्द्र सिंह पाल के आड़े नहीं आयेंगे और अगर पाल को टिकट मिलने की सम्भावना होगी तो वे उनका पूरा समर्थन करेंगे. पूर्व मन्त्री तिलक राज बेहड़ ने भी नव वर्ष, लोहड़ी, मकर संक्रान्ति की शुभकामनाओं के बहाने नैनीताल सीट पर अपने होर्डिंग और पोस्टर लगाए. इसके बाद उन्होंने हल्द्वानी में पत्रकार वार्ता कर अपनी दावेदारी जताई और टिकट मिलने पर जीत का दावा किया.
अन्य दलों से फिलहाल किसी भी प्रत्याशी का नाम चर्चाओं में नहीं है.
जगमोहन रौतेला
जगमोहन रौतेला वरिष्ठ पत्रकार हैं और हल्द्वानी में रहते हैं.
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