प्रो. मृगेश पाण्डे

गोबर की खाद डालना हो या गाज्यो काटना, पहाड़ों में सब काम मिल बांटकर होते हैं

पहाड़ों में पर्यावरण चक्र के हिसाब से खेती के तरीके विकसित हुए हैं. छः ऋतुओं और बारह महीनों में कोई ना कोई त्यौहार, पर्व या उत्सव मनाया जाता है. संक्रान्ति का विशेष महत्व है जो ऋतु में आने वाले बदलाव का सूचक है. Collective Culture of Uttarakhand

न्यौली, झोड़ा चांचरी, चौमासा इत्यादि ऋतुओं अर्थात पर्यावरण से सीधे जुड़े हैं. फसल बोने और काटने में भी लोकगीत व सामूहिक नृत्य उभरे हैं. हुड़का बौल ऐसा ही आयोजन है. बौल का मतलब है काम मजूरी या रोजगार. हुड़का बजाने वाला हुड़किया कहलाता है. कोई लोक गीत गाता हुड़किया सेरों में धान रोपाई या उपरॉऊ भूमि में मड़ुए की गुड़ाई करती महिलाओं के बीच हुड़किया बौल गाता काम की गति को बढ़ा देता.

रोपाई-गुड़ाई के बीच गुड़ के साथ चाय व रोटी-सब्जी की व्यवस्था रहती. एक या अनेक टोलियां एक दूसरे के खेतों में काम सार देतीं. इसी तरह खेतों में गोबर की खाद डालना और जानवरों के लिए गाज्यो काटना भी मिलबांट कर होता. इसे पलटा कहा जाता.

कई चीजों का उपयोग भी मिल-जुल कर किया जाता. जैसे बाखली में चाख पर बैठ कर हुक्का गुड़गुड़ाना. पहाड़ी तमाख खमीरा मिला. चूल्हे से निकले सुलगे क्वेलों पर. हुक्के के साथ तमाम सुख दुख, क्वीड पथाई.  ऐसे ही हर बाखली में ऊखल. जिसमें धान -मादिरा  कूटा  जाता. हाथ से चलाई जाने वाली चक्की में भी गेहूं मड़ुआ पीसा  जाता. छोटी नदियों या गाड़ पर बने घराटों या घट में भी अनाज की पिसाई होती.

घट का मालिक वहां हो ना हो, लाइन में अनाज के थैले लगे रहते. लोगबाग अपना अन्न पीस एक भाग पिसाई के बदले रख देते. घट में क्रम से पिसाई होती रहती. इस पर कहा गया, त्यर घट पिसियों,  झन  पीसिये, ल्या मेरि भाग. इसी तरह काष्ठ की  बनी नाली, पसेरी व माणा जिसके भी घर हो जरुरत पर ले कर अनाज और बीज इत्यादि की नापतोल की जाती, लेन देन निबटता. Collective Culture of Uttarakhand

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

5 days ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

5 days ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

1 week ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

1 week ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

2 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago