Featured

केदारघाटी : सनातन धर्म के तीन प्रमुख सम्प्रदायों का समन्वय

केदारघाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्यमिकता के लिए जानी जाती है. लेकिन इस घाटी में सनातन धर्म के तीन प्रमुख संप्रदायों शैव, वैष्णव और शाक्त का समन्वय भी देखने को मिलता है. जिससे यह अपने आप को विशिष्ठ बनाती है. केदारघाटी को जहां प्रकृति ने अपने नेमतों से नवाजा है, वहीं यहां की मंदिर, समाज, परंपरा इसको विशिष्ठ बनाता है.
(Chandrashila Tungnath Temple)

केदारघाटी प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है जो उत्तराखंड में स्थित है और भारतीय संस्कृति और धर्म के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यहां पर शैव, वैष्णव, और शाक्त मतों के अनुयायी अपने धार्मिक आधार को अद्वितीयता से मानते हैं. यहां सबसे ऊंचाई पर केदारनाथ और पंचकेदार मंदिर है. जो हिमालय में स्थित हैं. ये सभी मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं. जो शैव संप्रदाय के प्रमुख पूजा स्थल हैं. इसके बाद निचले भाग में गुप्तकाशी से कुछ दूरी पर नारायणकोटी गांव में भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिर हैं. जो वैष्ण्व संप्रदाय से संबंधित हैं. वहीं तेबड़ी गांव स्थित नारदधार में नादर मुनि का मंदिर जो भगवान विष्णु को संर्पित हैं. इससे कुछ नीचे कालीमठ में काली का प्राचीन मंदिर है, रुद्रप्रयाग संगम पर मां चामुंडा का मंदिर है.

अगस्त्यमुनी क्षेत्र में बारह आदि शक्ति पीठ हैं, जो विभिन्न गांवों में हैं. इनहीं मंदिरों के नाम पर नइ गांवों का नाम भी पड़ा है. जो साक्त मत से संबंधित है. केदारघाटी में तीनों संप्रदायों का समाहित होना उसे विशिष्ठ बनाता है. पंच केदार उन पाँच मंदिरों को दर्शाता है जो भगवान शिव को समर्पित हैं और केदारनाथ के पाँच मुख्य मंदिरों को संदर्भित करता है. ये मंदिर भारतीय परंपरा में बहुत महत्वपूर्ण हैं और शिव भक्तों के लिए पवित्र स्थल हैं. केदारघाटी में कई मंदिर हैं, लेकिन सबसे प्रमुख मंदिर है केदारनाथ मंदिर. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और उत्तराखंड के चारधाम यात्रा का एक हिस्सा है.

केदारनाथ मंदिर को प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण माना जाता है और यह भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा में एक अत्यंत प्रतिष्ठित स्थल है. गुप्तकाशी भी केदारघाटी के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. इसे चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. गुप्तकाशी में गुप्तकाशी कुंड नामक स्थान है, जहां लोग श्रद्धा भाव से स्नान करते हैं. इसके अलावा, गुप्तकाशी में अनेक प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जो भक्तों को आकर्षित करते हैं. गुप्तकाशी भी केदारघाटी के धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल का एक महत्वपूर्ण अंग है. 
(Chandrashila Tungnath Temple)

तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह केदारघाटी में स्थित है. यह मंदिर पंच केदार मंदिरों में से एक है. सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर का दर्जा भी इसे ही मिला है. यह भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है. यहाँ से आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं, जिसमें आपको घने वन, पर्वतीय दृश्य, और शांति वातावरण का अनुभव होगा. चंद्रशिला तुंगनाथ मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है. यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवन अद्वितीय हैं, जो यात्रियों को आकर्षित करते हैं.

चंद्रशिला के पर्वतीय रास्ते पर ट्रेकिंग करने से आपको अद्वितीय दृश्य, प्राकृतिक सौंदर्य और ऊँचाई का आनंद मिलेगा. यहाँ से आपको पर्वत शिखरों का बेहतरीन दृश्य, साफ हवा और शांति का अनुभव होगा. साथ ही यहां दुगलबिट्ठा बुग्याल और चोपता और कांचुला खर्क वन जीव संरक्षित क्षेत्र पर्यटकों का आकर्षित करता है.

चंद्रशिला मंदिर तुंगनाथ

शैव संप्रदाय

हिमालय स्थित केदारनाथ मंदिर एक प्रमुख शैव तीर्थ स्थल है, जो शिव को समर्पित है. यहां पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और यह शैव समुदाय के लिए धार्मिक महत्व का केंद्र है. दुनिया भर के लोग यहां आते हैं. यहां ग्रीमकाल में छह माह की पूजा की जाती है. छह माह की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होती है.

वैष्णव संप्रदाय

केदारघाटी में गुप्तकाशी के पास  नारायकोटी गांव में भगवान विष्णु के प्राचीन मंदिर हैं. जो वैष्ण्व संप्रदाय से संबंधित हैं. वहीं तेबड़ी गांव स्थित नारदधार में नादर मुनि का मंदिर जो भगवान विष्णु को संर्पित हैं. यहां पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और यह भी भारतीय संस्कृति का एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है.

शाक्त संप्रदाय

इस क्षेत्र में मां काली का मंदिर भी है, जो शाक्त समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है. कालीमठ में मां काली की पूजा और अर्चना की जाती है और यह भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. केदारघाटी में ये तीनों मंदिर एक साथ स्थित हैं, जिसके कारण यहां का महत्व और प्रासंगिकता धार्मिक और धार्मिक समृद्धि के संदर्भ में अत्यंत उच्च है.
(Chandrashila Tungnath Temple)

वरिष्ठ पत्रकार विजय भट्ट देहरादून में रहते हैं. इतिहास में गहरी दिलचस्पी के साथ घुमक्कड़ी का उनका शौक उनकी रिपोर्ट में ताजगी भरता है.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

इसे भी पढ़ें : हिमालय की उपत्यका में धार्मिक और प्राकृतिक आश्रय ‘कान्दी’ गांव

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया

पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ, इक…

2 days ago

देहरादून की जनता ने अपने पेड़ों को बचाने की एक और लड़ाई जीती

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बीते रविवार करीब हजार लोग जनगीत गाते हुए सड़कों पर…

2 days ago

जब पहाड़ के बच्चों का मुकाबला अंग्रेजी मीडियम से न होकर हिन्दी मीडियम से था

आजकल इग्लिश मीडियम में बच्चों को पढाने का चलन है. कहते हैं समय के साथ…

3 days ago

मुनस्यारी के धर्मेन्द्र की डॉक्यूमेंट्री इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी

इस वर्ष सोलहवें इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री एंड शार्ट फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ केरला के लिए चयनित एक…

4 days ago

तैमूर लंग की आपबीती

"मैं उल्लू की आवाज़ को अशुभ नहीं मानता, फिर भी इस आवाज़ से अतीत और…

1 week ago

हमारे बच्चों के लिए गांव के वीडियो ‘वाऊ फैक्टर’ हैं लेकिन उनके सपनों में जुकरबर्ग और एलन मस्क की दुनिया है

ताले में चाभी थोड़ी मुश्किल से घूमी. करीब दस महीने बाद मैं ‘अपने घर’ का…

1 week ago