उत्तराखंड के सामाजिक गठन का एक अन्य वर्णेत्तर घटक है वनरौत या वनराजी. पिथौरागढ़ जनपद के अस्कोट खंड के निकटस्थ…
मोहिनीदी से फिर मुलाकात की उम्मीद कम होती जा रही है. अब कहां भेंट होगी! हमसे गांव कबके छूट गया.…
क्या आप सिर्फ नौकरी पैसों के लिए ही करते हैं. कहीं यह नौकरी आपकी सेहत को नुकसाान तो नहीं पहुंचा…
अमृतलाल वेगड़ और रजनीकांत के नर्मदा वृत्त के आगे यह नर्मदा की दुर्दशा की अगली कहानी है. शिरीष खरे की…
(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3) मैं दूकानों से थोड़ा आगे निकला और नीचे जंगल की…
हेडमास्टर साहब, मस्तमौला आदमी थे. टेंशन बिल्कुल नहीं पालते थे. बरसात के दिनों को छोड़कर, सालभर कक्षाएँ बाहर लगती थीं.…
24 अक्टूबर 1962, को चीनी आक्रमण के चलते रेजांगला की सुरक्षा का जिम्मा 13 कुमाऊं रेजीमेंट की सी (चार्ली) कंपनी…
वीरेन्द्र डंगवाल : कविता और जीवन में सार्थक भरभण्ड -नवीन जोशी गरुड़ बटी छुटि मोटरा, रुकि मोटरा कोशिअघिला सीटा चान-चकोरा,…
कुछ कद्दू चमकाए मैंने -वीरेन डंगवाल कुछ कद्दू चमकाए मैंने कुछ रास्तों को गुलज़ार किया कुछ कविता-टविता लिख दी तो…
‘कागज के फूल’ के न चलने की वजह से गुरुदत्त को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि आत्मिक रूप से…