डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…
पहाड़ और मेरा बचपन – 14 (पिछली क़िस्त : और इस तरह जौ की ताल ने बचाई इज्जत, मैंने मां…
आप उत्तराखण्ड के किसी भी इलाके में सैलानी बन कर भ्रमण के लिए निकले हों तो तय है कि आपको…
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…
23 साल का ताजा-ताजा ग्रेजुएट लड़का अक्सर मेरे पास आकर अक्सर बैठ जाया करता है. एक दिन वह काफी देर…
गामा पहलवान अब हमारे महादेश की किंवदन्तियों का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं. उन्हें याद करना अन्तहीन नोस्टैल्जिया जगाता है.…
बड़ा बाज़ार के पास वाले मोड़ पर ही, जहाँ किसी जमाने में घोड़ा स्टेंड था, उसी तिराहे पर, स्टेट बैंक…
[एक ऐसे समय में जब कुमाऊँ-गढ़वाल का लोकसंगीत संभवतः अपने सबसे बुरे और बेसुरे दौर से गुज़र रहा था, ताज़ा…
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…
पहाड़ के खाने में शरीर की जरूरत के लिए पर्याप्त ऊर्जा और पोषण के साथ-साथ मौसम का भी विशेष ध्यान…