Featured

विश्व के हर कोने में खेला जाता है उत्तराखंड का खेल: ‘गुट्टी’

लोक से जुड़ी किसी भी चीज की एक विशेषता होती है कि वह अन्तराष्ट्रीय स्तर पर किसी न किसी रूप…

6 years ago

नाटक में नाटक

कहो देबी, कथा कहो – 33 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 32 नौकरी की आपाधापी में ही जब…

6 years ago

बर्फबारी के बाद नारायण आश्रम की तस्वीरें

उत्तराखण्ड में उत्तर पूर्वी कुमाऊँ के चौदास क्षेत्र में श्री कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के प्रारम्भिक पड़ाव, समुद्र तल से…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 105

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

शमशेर सिंह बिष्ट का एक आत्मीय संस्मरण

शमशेर सिंह बिष्ट ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल…

6 years ago

गुप्तकाशी: जहाँ शिव गुप्तवास पर रहे

उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में बसा है (Guptkashi) गुप्तकाशी. यह क़स्बा केदारघाटी में मन्दाकिनी नदी के सुन्दर…

6 years ago

और टंपरेरी ने अपनी आंख से यूं धुआं निकाला कि मुझे कभी नहीं भूला

पहाड़ और मेरा जीवन - 19 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 104

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

किसने आख़िर ऐसा समाज रच डाला है

हमारा समाज -वीरेन डंगवाल  यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार यह कौन नहीं चाहेगा भोजन वस्त्र मिले यह कौन…

6 years ago

1984 में अल्मोड़े के विज्ञापनों की दुनिया

इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सफ़ेद को सुंदर और काले को बदसूरत मानने के चलन में विज्ञापन…

6 years ago