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‘हरी भरी उम्मीद’ की समीक्षा : प्रभात उप्रेती

सारे भारत में जनजातीय इलाकों में जो कौम बसती थी उनको रोजी-रोटी जिंदगी, जंगलों से चलती है. उनका उन पर…

4 years ago

उत्तरांचल के लोकगीतों में नन्दा : बृजेन्द्र लाल शाह का एक महत्वपूर्ण लेख

अल्मोड़ा में ग्रीष्म की पीली उदास धुधलाई सन्ध्या की इस वेला में, मैं एकाकी बैठा कसार देवी के शिखर पर…

4 years ago

जनान्दोलनों के संघर्ष का प्रतीक था – त्रेपन चौहान की तेरहवीं पर जगमोहन रौतेला की भावभीनी श्रद्धांजलि

उत्तराखण्ड के जनान्दोलनों व जनसरोकारों के लिए काम करने वाली धारा को गत 13 अगस्त 2020 को तब गहरा आघात…

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गौरा-महेश्वर की गाथा में गौरा

कुमाऊँ की प्रचलित गौरा-महेश्वर की गाथा में शिव-पार्वती के विवाह में पड़ने वाली बाधाओं से सम्बन्धित आख्यान तथा जनश्रुतियां मिलती…

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एक गुच्छा बयंगकार के साथ ढाई किलो कबि

"कवि हैं, अच्छे वाले?" "बहिनी कौन सा, नया, कि पुराना?" "भैया पिछली बार पुराने कवि ले गई थी, सब मीठे…

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इंद्रू : जिसे प्रकृति ने लोहे और पत्थरों की सख्ती से निपटने के लिए ही पैदा किया

जहाँ हमारे गाँव की हद खत्म होती है वहीं पर एक जमाने में इंद्रू सुनार की लोहे गलाने की भट्टी…

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पहाड़ों में सातों-आठों की बहार आ गयी है

भादों की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कुमाऊं और नेपाल में हर्षोल्लास और श्रृद्धा भक्ति से भरा प्रकृति को समर्पित,…

4 years ago

प्रताप भैया- उसूलों पर पैबन्द लगाना जिनकी फितरत में नहीं था

सुनने में बेशक बड़े आकर्षक व लुभावने लगते हैं उसूल. लेकिन जब अमल में लाने की बात होती है, तो…

4 years ago

क्या आप अपने मोबाइल से ज्यादा ताकतवर हैं?

मेरे परिचितों में कई लोग हैं जो विपश्यना के लिए दस-दस दिनों के कैंपों में जाते हैं. इन कैंपों में…

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उसने कहा था : चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी

बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ीवालों की जबान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे…

4 years ago