समाज

रूस दौरे से लौटने पर नेहरू में क्यों जगी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की जिज्ञासा

अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी मिलने के बाद वर्ष 1955 में रूस दौरे पर गए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री…

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देहरादून का मिन्ड्रोलिंग मठ

बैसाख की पूर्णिमा को पूरे विश्व मे बुद्धपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. भगवान बुद्ध का जन्म, परिनिर्वाण और…

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पर्यावरण-चिंतन के प्रकाशस्तंभ सुंदर लाल बहुगुणा का अवसान

गंगा के अविरल प्रवाह के लिए संघर्षरत ऋषि ने उसी के दक्षिणी तट पर प्राणों की पूर्णाहुति के साथ अपने…

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कुमाऊं के रणबांकुरों की विरासत है छोलिया नृत्य

कुमाऊं की बेजोड़ सांस्कृतिक परम्पराओं व लोककलाओं का अपना समृद्ध इतिहास रहा है. इन लोकपरम्पराओं की जड़ें हमें अपने इतिहास…

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त्रेतायुग में वनवास, द्वापरयुग में अज्ञातवास और अब कलयुग में एकांतवास

वनवास, अज्ञातवास और एकांतवास इन तीनों में बहुत समानता है. एक प्रकार से तीनों किसी को हराने के लिए अपने…

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कविता का सच अलग होता है और जीवन का सच अलग होता है

कहते हैं एक ज़माने में भारत में घी दूध की नदियां बहती थीं. इस काव्यात्मक ट्रुथ में यह कहने का…

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कटारमल सूर्य मंदिर को ‘बड़ आदित्य मंदिर’ क्यों कहते हैं

सूर्य भगवान की मूर्ति किसी धातु या पत्थर से निर्मित नहीं है बल्कि यह मूर्ति बड़ के पेड़ की लकड़ी…

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क्यों 1918 में सभी हिन्दुस्तानियों को इन्फ्लुएंजा का मुफ़्त टीका लगाया अंग्रेजी सरकार ने?

पिछले एक वर्ष में हिंदुस्तान में कोरोना महामारी से लगभग दो लाख लोग मर चुके हैं जो चीन और पाकिस्तान…

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उत्तराखण्ड में सिक्कों की छपाई का इतिहास

उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल का श्रीनगर शहर मध्यकाल से ही सिक्कों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा था. उस समय…

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घ्वीड़ संग्रान्द : एक पारम्परिक उत्तराखंडी त्यौहार

आज ज्येष्ठ मास की संक्रांति है. लगभग हर मास की संक्रांति को हमारे पहाड़ में किसी न किसी त्यौहार के…

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