सरयू और गोमती के तट पर लगता है उत्तरायणी कौतिक. इस कौतिक में शामिल होते हैं आस-पास के सैकड़ों गांवों…
कोई भी संस्कृति अपनी भाषा बोली को संरक्षित किये बगैर लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकती. यह बात छोटी…
पिथौरागढ़ की डीडीहाट तहसील में एक गांव है मड़. डीडीहाट से 15 किमी की दूरी पर चौबाटी क़स्बा है यहां…
पहाड़ में नंगा सर रहना बुरा समझा जाता था. सर में टोपी डालने का चलन था. कम हैसियत वाले धोती…
समाज में विधवा स्त्री के त्याज्य तथा अस्वीकार्य माने जाने की ऐतिहासिक सामाजिक विकृति, देश के एक बड़े हिस्से में…
बीते रविवार से पूरे कुमाऊं में बैठकी होली शुरू हो चुकी है. सुनने में बड़ा अटपटा है क्योंकि देश और…
पहाड़ में कुछ काम करने न करने पर कुछ लोक विश्वास भी बने रहे जैसे यात्रा करने में वारदोख का…
पिज्जा, बर्गर और फास्ट फूड के इस दौर में यदि उत्तराखण्ड के परम्परागत व्यंजनों की बात करें तो आधुनिक पीढ़ी…
पहाड़ में परंपरागत बने मकानों में स्थानीय रूप से उपलब्ध पत्थर, मिट्टी, लकड़ी का प्रयोग होता रहा. हवा और धूप…
उसके चेहरे पर आग की दहक से उभरने वाली चमक बिछी थी... आंखें भट्ठी की आग पर टिकी हुईं. बीच-बीच…