कॉलम

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 120

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

समकालीनता अब छुटभैयों का अभ्यारण्य है

किस बात के नामवर? लेखन के, समालोचन के, अध्ययन के, अध्यापन के, सम्पादन के, वक्तृत्व के या इन सबसे इतर…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 119

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

मेले में अकेले

कहो देबी, कथा कहो – 35 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 34 उन्हीं दिनों एक लंबी यात्रा पिथौरागढ़…

6 years ago

हिसालू की जात बड़ी रिसालू

मई जून की गर्मियों में उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ों में कंटीली झाड़ियों के बीच उगने वाला एक रसदार फल होता…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 118

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

मृत्यु से दूसरा साक्षात्कार हुआ जब यशुदास मेरी आंखों के सामने डूबा

पहाड़ और मेरा जीवन - 21 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

6 years ago

भट की चुड़कानी: पहाड़ियों का पसंदीदा व्यंजन

चुड़काड़ी, चुटकाड़ी, चुलकाड़ी चुड़कानी, चुटकानी (Bhat Ki Chulkani) नाम से जाने-पहचाने जाने वाले व्यंजन को उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में…

6 years ago

अपने हिमालय की चोटियों को पहचानिए – त्रिशूल

( पोस्ट को नीरज पांगती की आवाज़ में सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें ) हिमालय की तीन सुन्दर…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 117

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago