समाज

भट की चुड़कानी: पहाड़ियों का पसंदीदा व्यंजन

चुड़काड़ी, चुटकाड़ी, चुलकाड़ी चुड़कानी, चुटकानी (Bhat Ki Chulkani) नाम से जाने-पहचाने जाने वाले व्यंजन को उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में भात के साथ खाए जाने की परंपरा है. इसे उत्तराखण्ड में सर्वाधिक लोकप्रिय व्यंजन (Cuisine of Uttarakhand) कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसे पारंपरिक, जैविक तरीके से उगायी जाने वाली भट्ट की दाल से बनाया जाता है. अतः यह रासायनिक खाद के दुर्गुणों से भी पूरी तरह मुक्त होती है. भट्ट की दाल को भट मास और कलभट नामों से भी जाना जाता है, यह दाल प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन और फाइबर का बेहतरीन स्रोत है. इसके अलावा भट का सेवन एलडीएल कॉलेस्ट्रोल को घटाकर एचडीएल कॉलेस्ट्रोल को बढ़ाने का काम भी करता है. आयुर्वेद में भट की दाल को गरम तासीर वाला भी माना गया है. लिहाजा सभी पहाड़ी जड़ों के मौसम में इसके सेवन को ज्यादा तवज्जो दिया करते हैं.

भट की दाल से चुड़कानी के अलावा डुबके, फाणु, राजड़ा आदि व्यंजन भी बनाये जाते हैं. चुड़कानी बनाने की प्रक्रिया में भट के भुने हुए दानों की मात्रा ज्यादा रखी जाती है. भट के भुने दाने बच्चे-बड़े चुटकाड़ी बनते-बनते ही खा जाया करते हैं लिहाजा इसकी मात्रा ज्यादा रखना ही ठीक होता है.

चुड़कानी बनाने के लिए पहले भट की दाल को किसी साफ़ कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लिया जाता है, छोटे आकार के भट इसके लिए मुफीद माने जाते हैं. अब कड़ाही में हल्का सा तेल डालकर इन भटों को भून लिया जाता है. कड़ाही लोहे की ही होनी चाहिए, इस नियम का पालन न किये जाने पर स्वाद और रंग दोनों के ही ख़राब होने का पूरा खतरा है. भट की दाल को तब तक भूना जाता है जब तक कि दाने चटखना न शुरू कर दें. इस दौरान जलने से बचाने और बराबर भूने जाने के लिए लगातार चलाते रहना जरूरी है. अब इन दानों को निकालकर अलग रख लिया जाता है.

सरसों के तेल में लहसुन का तड़का लगाकर बारीक कटी प्याज को भूरा होने तक भून लिया जाता है. अब इसमें बारीक कटे टमाटर डालने के बाद हल्दी, पिसी मिर्च, धनिया, गरम मसाला मिलाकर तब तक भूना जाता है जब तक मसाले अच्छे से न भुन जायें. इसी प्रक्रिया में आटे, बेसन या चावल के आटे का घोल भी मसालों के साथ ही ठीक से पका लिया जाता है. सूखे आटे को पहले से भूनकर भी रखा जा सकता है या फिर प्याज के भूनने के बाद भी भुना जा सकता है. यह आपकी पाक कला पर निर्भर करता है कि आप किस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं. इस घोल का मकसद चुड़कानी को गाढ़ा व लजीज बनाना हुआ करता है.

आटे-बेसन के घोल और मसालों के ठीक से पक जाने के बाद इसमें पानी मिलाकर भुनी हुई भट के दाने डाल दिए जाते हैं. पहले से भुनी भट केथोड़ा नरम हो जाने तक पकाया जाता है.

तैयार चुड़कानी में देशी घी के साथ जम्बू का तड़का लगाया जाता है. जम्बू उपलब्ध न होने पर हींग या साबुत धनिया के तड़के से भी काम चलाया जा सकता है.

चुड़कानी के ऊपर धनिया छिड़ककर भात के साथ परोसा जाता है. आलू के गुटकों का टपकिया और भांग की चटनी मिलाकर खाने से निर्वाण की अनुभूति होती है.

-सुधीर कुमार 

[वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री]

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

View Comments

  • मुँह में पानी भर आया। मेरा पसंदीदा भात और भट की चुड़काणि

  • लहसुन को शुरू में तड़का लगाने की बजाए सबसे आखिर में कच्चा कूट कर डाला जाए तो स्वाद और बढ़ जाता है। लोहे की कड़ाही में 20-25 मिनट तक चुरकाणी को पकाया जाए तो उसकी रंगत देखते ही भूख बढ़ जाती है।

  • धन्यवाद , रविवार के दिन आपने चुड़कानी की बात राखी और आज ये बनेगी भी .
    पर एक मित्र पूछ रहे हैं कि पीसना है क्या ? तो भ्रम में नहीं पड़ना है . ये चुड़कानी बनाने की बात चल रही है . पीसने पर दुसरा व्यंजन बनता है . यहाँ पर मैं कुछ जोड़ना चाहूँगा . सुधीर जी ने भिन्न स्वाद की चुड़कानी बनाने का ढंग ऊपर बताया है . पर में यहाँ ठेठ कुमाउनी ढंग बताउंगा उसके बाद आप अपने प्रयोग कर सकते जैसे आपकी चुड़कानी सांभर वाली चुड़कानी या शाही चुड़कानी या थाई या कोरियन चुड़कानी बना सकते हैं ...... और ये संभव पर इन सबमें चुड़कानी का स्वाद का अंतिम संस्कार हो जाएगा . एक ठेठ कुमाउनी चुड़कानी बनाने के लिए आप आगे की बातों में मेरे साथ रहे ---- काले छोटे भट्ट धो लीजियेगा और लोहे की कडाहे में गर्म सरसों के तेल में दाल दें और पूरी लाल मिर्च के साथ लोहे डाडू से भुनना आरम्भ करें, हिलाते रहे और जब चट - चट की आवाज आनी आरम्भ हो तो सभी दानों के गर्मी से चट्ट-पट्ट हो जाने के अनुमान के बाद गेहूं के आटे को डाल कर उसे भी भुनने की आवश्यकता है थोड़ी देर . और फिर पानी दाल कर नमक मिला दीजिएगा . इसके अतिरक्त जुछ भी डालने से आप चुड़कानी के स्वाद से दूर हो जायेंगे . आपको पकाते समय इसे हिलाते रहने की आवश्यकता है और एक दो उबाल के बाद इसे धीमी आंच में पकाईयेगा और उप्पर कढाई के किनारेमें मलाई बनाने और चिपकने की प्रतीक्षा करें . आंच बंद कर दस-पांच मिनट ताप थोडा कम होने दें और फिर पुनः गर्म कर कम गीले भात के साथ अपने आस-पास के किसी बच्चे को सर्व करें . और उसके बार-बार माँगने पर ही चुड़कानी बनी ऐसा मानकर चलना चाहिए अन्यथा अन्य दिन पुनः प्रयास करें . मेरी शुभकामनाएं .

Recent Posts

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

19 hours ago

यूट्यूब में ट्रेंड हो रहा है कुमाऊनी गाना

यूट्यूब के ट्रेंडिंग चार्ट में एक गीत ट्रेंड हो रहा है सोनचड़ी. बागेश्वर की कमला…

21 hours ago

पहाड़ों में मत्स्य आखेट

गर्मियों का सीजन शुरू होते ही पहाड़ के गाड़-गधेरों में मछुआरें अक्सर दिखने शुरू हो…

2 days ago

छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगानी के सफर में हम भी तेरे हमसफ़र हैं

पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी हम…

2 days ago

स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि

घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…

3 days ago

सुदर्शन शाह बाड़ाहाट यानि उतरकाशी को बनाना चाहते थे राजधानी

-रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा…

3 days ago