सुन्दर चन्द ठाकुर

मैंने तोते की लाश को तो दफ्न कर दिया, पर उसे मारने का अपराध बोध जिंदा रहा

पहाड़ और मेरा जीवन – 32 पिथौरागढ़ में रहते हुए मैं बचपन और कैशोर्य का ऐसा बेहोशी भरा जीवन जी…

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सुर्ख गालों पर तपिश लिए भरे बाजार जब मैंने अर्चना वर्मा को जीवन भर के लिए कहा गुडबाय

पहाड़ और मेरा जीवन – 31 अपनी सहपाठी अर्चना वर्मा के बारे में मैंने पहले भी जिक्र किया था और…

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और मां ने सिन्ने यानी बिच्छू घास से लाल कर दी मेरी टांगे

पहाड़ और मेरा जीवन – 30 मैं बचपन से ही थोड़ा बेपरवाह मगर बहुत स्वाभिमानी रहा हूं. बचपन में मैं…

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मैं क्यों चलता था 15 किलो बोझ लादे बिजली के खंभे पर संतुलन बनाता

पहाड़ और मेरा जीवन –29 हमारे परिवार के जम्मू से ठूलीगाड़ आने की वजह पिताजी थे, जिन्होंने फौज में अफसर…

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बिना गलती के पड़ी जब मार, सिर पर निकले तीन-तीन ‘गुमड़े’

पहाड़ और मेरा जीवन –28 पहाड़ों में गुजरे बचपन के दिनों को याद करते हुए इधर दो बातें हुईं. पहली…

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रचना सिंह के कारण जब पूरी कक्षा के सामने मेरी इज्जत दांव पर लगी

पहाड़ और मेरा जीवन –27 मैं आप लोगों को इस बार केंद्रीय विद्यालय पिथौरागढ़ का किस्सा सुनाने जा रहा हूं.…

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इसलिए मैं हरीश बम उर्फ हरसू का आज भी कायल हूं

पहाड़ और मेरा जीवन – 26 ठूलीगाड़ में गुजारे दिनों की बात चल रही है, तो किस्से पर किस्से याद…

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क्या-क्या न किए हमने करम बूबू के रेडियो पर कमेंट्री सुनने के लिए

पहाड़ और मेरा जीवन – 25 ठूलीगाड़ में मैं चौथी कक्षा में आया था और सातवीं करने के बाद एक…

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पहाड़ी भात-दाल और काले बिस्कुट यानी मड़वे की रोटी को याद करते हुए

पहाड़ और मेरा जीवन – 24 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

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जब संजु वडके की अफसरों के बच्चों वाली साइकिल मैंने डोट्याल की टांगों के बीच घुसाई

पहाड़ और मेरा जीवन – 23 जैसा कि मैंने पिछली किस्त में आपको अपने दोस्त संजु वडके के बारे में…

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