यह बात सभी जानते हैं कि हिंदी साहित्य का पहला संकलन फ्रेंच भाषा में गर्सा द तासी के द्वारा 1850…
अब ऐसे नज़ारे कम दिखाई देते हैं, मगर हमारे छुटपन में जब पहाड़ों का आकाश हर वक़्त बादलों से घिरा…
खुद को अभिव्यक्त करने का सलीका मैंने अपने दौर के वरिष्ठ और चर्चित लेखक शैलेश मटियानी से सीखा. और यह…
1875 ईस्वी में एक रूसी भारतविद इवान पाव्लोविच मिनायेव अल्मोड़ा आया जहाँ वह तीन महीने रहा. इन तीन महीनों में…
“कहाँ हो बंकिम, कहाँ हो रवीन्द्र! आओ, उत्तराखंड का राज्यगीत लिखो ये वाक्य उत्तराखंड के एक प्रगतिशील समझे जाने वाले…
आज जिस स्थान पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर 'डी. एस. बी.' स्थित है, आजादी से पहले वहाँ पर 'वैलेजली…
हिंदी लेखन की हालत आजकल एक ऐसी संतान की तरह हो गयी है, जिसके बाप के रूप में एक ओर…
कहते हैं, संसार का सबसे निरापद और स्वादिष्ट जीव बकरी है. उस पर अगर वो पहाड़ी हो तो क्या कहने.…
लघु पत्रिका आन्दोलन की शुरुआत व्यावसायिक पत्रिकाओं को चुनौती देने के उद्देश्य से हुई थी. साठ के दशक में ‘समानांतर’…
इन दिनों उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति अपने ऊलजलूल बयानों के कारण चर्चा में हैं. हाल ही में उनके…