प्रो. मृगेश पाण्डे

पहाड़ में पेड़-पौधों के रेशों से बनने वाले उत्पाद

पहाड़ में अनेक पेड़-पौंधों से रेशा निकला जाता जिनमें रामबांस, भाँग, बबिला, मालू, मूँज, मोथा, अल, उदाल, धान का पुवाल,…

5 years ago

तिजोरी से कम राज नहीं हैं आमा के भकार में

पहाड़ों में ज्यादा मात्रा में अनाज को भकार में रखा जाता. तुन, चीड़ और देवदार के तख्तों या पटलों से…

5 years ago

ईजा कैंजा की थपकियों के साथ उभरते पहाड़ में लोकगीत

हर ऋतु में अपने गीत हैं. खट्ट से आस पास से कई अलंकार समेट फूट पड़ते हैं. मेले ठेले में, पर्व में,…

5 years ago

उत्तराखंड के छोटे से गांव से दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक मंचों तक प्रो. गंगाप्रसाद विमल का सफ़र

दो साल पहले अपनी पत्नी मंजुला के हिंदी में शोध साक्षात्कार में प्रोफ़ेसर गंगाप्रसाद विमल के आने की खबर डी…

5 years ago

पहाड़ में हर बीमारी में झाड़फूंक का रिवाज चला आया है

पहाड़ों में किसी भी बीमारी में झाड़फूंक का रिवाज चला आया है. पीलिया होने, दाँत में घुनता लगने या कीड़ा…

5 years ago

उत्तराखण्ड का पारंपरिक पहनावा और जेवर

पहाड़ में नंगा सर रहना बुरा समझा जाता था. सर में टोपी डालने का चलन था. कम हैसियत वाले धोती…

5 years ago

गोबर की खाद डालना हो या गाज्यो काटना, पहाड़ों में सब काम मिल बांटकर होते हैं

पहाड़ों में पर्यावरण चक्र के हिसाब से खेती के तरीके विकसित हुए हैं. छः ऋतुओं और बारह महीनों में कोई…

5 years ago

पहाड़ में काम करने न करने पर लोक विश्वास

पहाड़ में कुछ काम करने न करने पर कुछ लोक विश्वास भी बने रहे जैसे यात्रा करने में वारदोख का…

5 years ago

पहाड़ के जनमानस में बेहद जरूरी हिस्से की तरह स्थापित है वनों की सम्पदा

वनस्पति जगत से मैत्री सम्बन्ध बने, आस्था के प्रतीक रूप में जीवंत हुए. तुलसी, पीपल में जल चढ़ा तो उसकी…

5 years ago

‘बाखली’ जोड़कर रखती है परिवार, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को एक साथ

एक जाति-बिरादरी के लोग एक दूसरे से जुड़े एक कतार में घर बनाते तो इसे बाखली कहा जाता. बाखली के…

5 years ago