देवेन मेवाड़ी

ओ चड़ी कलचुड़िया चड़ीओ चड़ी कलचुड़िया चड़ी

ओ चड़ी कलचुड़िया चड़ी

मेरा गांव-कालाआगर. नैनीताल से करीब 100 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में. इस ऊंची पर्वतमाला को जिम कार्बेट कालाआगर रिज कहते और…

5 years ago
मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को सागमंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग

मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग

असल में लोकोक्ति है- “मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग.” बचपन में सुना ही सुना था. सिसुणा का साग…

5 years ago
मनोहर श्याम जोशी और विज्ञानमनोहर श्याम जोशी और विज्ञान

मनोहर श्याम जोशी और विज्ञान

‘कुरू-कुरू स्वाहा’, ‘कसप’, ‘क्याप’ तथा ‘हमजाद’ जैसे गंभीर उपन्यासों के रचयिता, साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार और ‘हम लोग, ‘बुनियाद,…

5 years ago
विश्व ओजोन दिवस पर एक दादा का अपनी पोती के नाम ख़तविश्व ओजोन दिवस पर एक दादा का अपनी पोती के नाम ख़त

विश्व ओजोन दिवस पर एक दादा का अपनी पोती के नाम ख़त

प्रिय पल्लवी, तुम्हारा पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई. यह जान कर और भी अधिक हर्ष हुआ कि तुम में…

5 years ago
फिर चांद के लिए इतनी चाहत क्यों?फिर चांद के लिए इतनी चाहत क्यों?

फिर चांद के लिए इतनी चाहत क्यों?

50 वर्ष पहले 20 जुलाई 1969 को चांद की सतह पर मानव के वे पहले कदम पड़े थे. 8 बज…

5 years ago
उसके चारों ओर एक शून्य विस्तार पाता जा रहा हैउसके चारों ओर एक शून्य विस्तार पाता जा रहा है

उसके चारों ओर एक शून्य विस्तार पाता जा रहा है

कहानी की कहानी-5 आज जब करीब पचपन वर्ष बाद ‘कहानी’ कथा-पत्रिका में देवेन नाम से छपी अपनी इस कहानी ‘अलगाव’…

5 years ago
क्या विशाल ब्रह्मांड में हम अकेले हैंक्या विशाल ब्रह्मांड में हम अकेले हैं

क्या विशाल ब्रह्मांड में हम अकेले हैं

न जाने नक्षत्रों में है कौन! हां, कौन जाने अंतरिक्ष में जगमगाते असंख्य नक्षत्रों के किस अनजाने लोक में न…

5 years ago
खड़कदा – देवेंद्र मेवाड़ी की कहानीखड़कदा – देवेंद्र मेवाड़ी की कहानी

खड़कदा – देवेंद्र मेवाड़ी की कहानी

कहानी की कहानी - 4 बखतऽ तेरि बलै ल्यूंल. तेरी बलिहारी जाऊं बखत (वक्त). कितना कुछ चला जाता है बखत…

5 years ago
बलि का बकरा – देवेन मेवाड़ी की कहानीबलि का बकरा – देवेन मेवाड़ी की कहानी

बलि का बकरा – देवेन मेवाड़ी की कहानी

कहानी की कहानी उर्फ़ बकरा बलि का ईजा (मां) बीमार थी. उसका बहुत मन था कि देबी खूब पढ़े हालांकि…

5 years ago
दा, उसे घुघुती मिल गई होगीदा, उसे घुघुती मिल गई होगी

दा, उसे घुघुती मिल गई होगी

दूर पहाड़ के अपने गांव से पढ़ने के लिए मैं शहर नैनीताल चला गया था लेकिन मन में बसा गांव…

5 years ago