कला साहित्य

हल्द्वानी वाले बुआ-फूफा जी और उनके स्मार्ट फोन

उनकी गृहस्थी सुन्दर थी. फूफा बुआ को स्कूटर पर घुमाते थे. हर इतवार या छुट्टी के दिन वे दोनों किसी…

4 years ago

रेवती रोई नहीं : एक सशक्त पहाड़ी महिला की कहानी

रानीखेत रोड से होती हुई रेवती लकड़ियों की गढ़ोई (बंडल) लेकर जैसे तंबाकू वाली गली से गुजरी, जमनसिंह की आँखों…

4 years ago

बाघिन को मारने वाले खकरमुन नाम के बकरे की कुमाऊनी लोककथा

बड़ी पुरानी बात है, जाड़ों के दिन थे. पहाड़ पार जंगल में चरने गयी बकरियों में एक गर्भवती बकरी जंगल…

4 years ago

उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी चूहा

वहाँ ज़रूर कुछ अनोखा था. ड्राइव वे की तरफ़ वाला दरवाज़ा आधा खुला और मेरी पत्नी ने दबी ज़ुबान में…

4 years ago

वड़ की पीड़ा और आमा के हिस्से का पुरुषार्थ

गांव की प्रचलित कहावत है, वड़ (Division stone) माने झगड़ जड़. जब दो भाइयों के बीच में जमीन का बंटवारा…

4 years ago

नेहा उनियाल: उत्तराखण्ड की संस्कृति में आधुनिकता का रंग भरने वाली आर्टिस्ट

(मूल रूप से यमकेश्वर, पौड़ी-गढ़वाल की रहने वाली नेहा उनियाल बेहतरीन आर्टिस्ट हैं. हाल-फिलहाल देहरादून में रहने वाली नेहा उनियाल…

4 years ago

किसी को तो रहना है : सब कुछ बयां कर दिया है पलायन से जुड़ी इस कहानी ने

जिस वक्त हम गाँव पहुँचे, धूप चोटियों पर फैलने के बाद उतरते-उतरते पहाड़ियों के खोलों में बैठने लगी थी. हवा…

4 years ago

शिखरों में आज भी गूंजते हैं नईमा खान उप्रेेती के गीत

सत्तर के दशक में लखनऊ के आकाशवाणी केन्द्र से पर्वतीय इलाके के लोगों लिए एक कार्यक्रम प्रसारित होता था उत्तरायण.…

4 years ago

पुण्यतिथि विशेष : प्रशासक, लेखक, पुरातत्वविद शूरवीर सिंह पंवार

पुण्यतिथि (मई 05) पर विशेषशूरवीर सिंह पंवार (18/05/1907 - 05/05/1991) (Shoorveer Singh Panwar) अप्रैल 1992 में इलाहाबाद से आदरणीय मोहनलाल…

5 years ago

चंद्रा नदी के तट पर बसे दो गावों की सदियों पुरानी दुश्मनी खत्म करने वाली प्रेम कहानी

बीच में कल-कल करती हुई चंद्रा नदी. बलुवाई मिट्टी के दो तट मिलने से सदा मजबूर. किंतु उनसे भी अधिक…

5 years ago