कला साहित्य

कहानी : धनिया की साड़ी

लड़ाई का ज़माना था, माघ की एक साँझ. ठेलिया की बल्लियों के अगले सिरों को जोडऩे वाली रस्सी से कमर…

3 years ago

लीला गायतोंडे की कहानी : ओ रे चिरुंगन मेरे

माँ की मौत के दो दिन गुज़रे थे. उसकी याद में मुझे बार-बार रोना आ रहा था. पिता जी दिन-रात…

3 years ago

ज्ञानरंजन की कहानी ‘छलांग’

श्रीमती ज्वेल जब यहाँ आकर बसीं तो लगा कि मैं, एकबारगी और एकतरफा, उनसे फँस गया हूँ और उन्हें छोड़…

3 years ago

हीरे का हीरा : चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी

आज सवेरे ही से गुलाबदेई काम में लगी हुई है. उसने अपने मिट्टी के घर के आँगन को गोबर से…

3 years ago

काली कुमाऊँ का शेरदा

पिछले कुछ दिनों जैसा उदास और रूखा-सूखा दिन था. बारिश न होने के कारण मौसम खुश्क हो चला था. जनवरी…

3 years ago

कहानी : नदी की उँगलियों के निशान

नदी की उंगलियों के निशान हमारी पीठ पर थे. हमारे पीछे दौड़ रहा मगरमच्छ जबड़ा खोले निगलने को आतुर! बेतहाशा…

3 years ago

कहानी : ‘वह भूखी और गन्दी लड़की’

पहली नजर में मैंने उसे पहचाना ही नहीं, पहचानती भी कैसे उसकी तब्दीली की तो सपने में भी कल्पना नहीं…

3 years ago

जागो प्यारे : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

उठो लाल अब आँखे खोलोपानी लाई हूँ मुँह धो लो (Jago Pyare) बीती रात कमल दल फूलेउनके ऊपर भंवरे झूले…

3 years ago

‘बिद्दू अंकल’ शैलेश मटियानी की प्रतिनिधि कहानी

लोग हमें गाँव में भी 'बिद्दू' ही पुकारते थे, दिल्ली शहर तो दिल्ली ही हुआ. यहाँ गाँव भनौरा, तहसील पट्टी,…

3 years ago

लोककथा : तपस्या का फल

विरेन आज घर से बाजार के लिये यह कहकर निकला था कि वह पूरा सामान खरीद कर लायेगा. एक दुकान…

3 years ago