कला साहित्य

लोक कथा : कछुए ने बन्दरों से बदला लिया

बहुत दिनों पहले की बात है, कि एक बार एक कछुआ एक अजनबी शहर में नमक खरीदने गया. (Folklore Kachue…

3 years ago

कोतवाल का हुक्का : कवितामय कहानियों का संग्रह

'कोतवाल का हुक्का' पुस्तक को कहानी संग्रह कहा गया है, पर यह तो कविता है. पढ़ते हुए भी और सोचते…

3 years ago

दरजी का लड़का जो अपनी चतुराई से राजा बन गया

एक छोटे से गाँव में एक दरजी रहता था. उसने अपने बेटे को भी दरजी का काम सिखा दिया, ताकि…

3 years ago

प्रेमचंद की कहानी ‘जेल’

मृदुला मैजिस्ट्रेट के इजलास से जनाने जेल में वापस आयी, तो उसका मुख प्रसन्न था. बरी हो जोने की गुलाबी…

3 years ago

त’आरुफ़ : कोतवाल का हुक्का

ज़ाहिर सी बात है 'कोतवाल का हुक्का' शीर्षक कहानी-संग्रह में प्रतिनिधि कहानी तो 'कोतवाल का हुक्का' ही होगी. इसके अलावा…

3 years ago

नुकीली ठुड्डी वाले राजा की कहानी

एक राजा की एक बेहद सुंदर पर घमंडी और बदमिजाज बेटी थी. उसे कोई भी आदमी पसंद न आता. राजा…

3 years ago

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘घर जमाई’

हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा. घर में से धुआँ उठता नजर…

3 years ago

मनोहर श्याम जोशी को याद करते हुए ‘कसप’ से एक अंश

यह शहर मुझे तभी स्वीकार करेगा जब मैं सरकारी नौकरी पर लगूं, तरक्की पाता रहूं और अवकाश प्राप्त करके यहाँ…

3 years ago

कहानी : भिटौली यानी मां उदास है

भिटौली का महीना शुरू हो चुका था. अगल-बगल की महिलाओं की भिटौली पहुँचने लगी थी. कागज की पुड़िया में मिठाई-बतासे…

3 years ago

हैं बिखरे रंग माज़ी के

उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था!…

3 years ago