समाज

समळौण्या होती सैकोट के सेरों की रोपाई

गढ़वाल के उन गिने-चुने गाँवों में से एक है सैकोट जिनकी उपजाऊ ज़मीन पहली नज़र में ही मन को भा…

3 years ago

पथरीली राहों का सफर : स्कूल और वह मौत का लठ्ठा पुल

 संस्मरण -2 यूं तो चिल्किया से दशौली, डौणू, भदीणा का कोई सीधा नाता नहीं था. प्राइमरी की पढ़ाई करने ग्राम…

3 years ago

पहाड़ी क्षेत्रों की महिलाओं का प्रसव भगवान भरोसे होता है

मां के गर्भ में शिशु उसका ही अंश होता है और हर मां को अपना शिशु प्यारा होता है. यही…

3 years ago

अब सुनने को नहीं मिलते हैं पहाड़ के मेलों में ‘बैर’

वैरा जिसे बैर भी कहते हैं,  इसका शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत-युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता…

3 years ago

भाबर के इलाके वास्तव में पहाड़ियों की ही भूमि है

एक समय ऐसा भी था जब कुमाऊं में भाबर की जमीन पहाड़ियों की हुआ करती थी. पहाड़ में रहने वाले…

3 years ago

पांचवी में बोर्ड परीक्षा की भीनी-भीनी यादें

जी! आप चैंकिए मत! थी यह बोर्ड परीक्षा ही, लेकिन हम चैड़ूधार के सभी छात्र-छात्राओं उर्फ छोर-छ्वारों के लिए पांचवी…

3 years ago

बचपन में दशहरा द्वारपत्र बनाने की ख़ुशगवार याद

जब हम छोटी कक्षाओं के छात्र हुआ करते और बड़े भाई जो घर के मुखिया भी थे, पुरोहिती का कार्य…

3 years ago

उत्तराखण्ड: यहाँ हर दिन है नवजात

उत्तराखण्ड का गढ़वाल-कुमाऊं दुनिया का शायद एकमात्र ऐसा भूभाग है जहाँ हर रात्रि सद्यःप्रसूता होती है और हर दिन नवजात…

3 years ago

पहाड़ से सरोकार को जीने वाले पत्रकार ‘पंकज सिंह महर’ को श्रद्धांजलि

आज इंटरनेट पर उत्तराखंड की जानकारी से जुड़े सैकड़ों पोर्टल हैं. इन सभी पोर्टल में सबसे पुराने और विश्वसनीय पोर्टल…

3 years ago

पहाड़ की एक माई जो नशे के कारोबार को मिट्टी तेल से स्वाहा कर कहलाई ‘टिंचरी माई’

उत्तराखंड में नशे का कारोबार हमेशा से एक चुनौती रही है. पहाड़ों में ऐसा कोई गांव न होगा जहां नशे…

3 years ago