समाज

अंग्रेजी शासन के ताबूत पर आखिरी कील

1857 के बाद फरवरी 1946 पहला मौका था जब भारतीय सेना ने ब्रिटिश शासन के विरुध्द खुलकर अपना रोष और…

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बहुत कठिन था उत्तराखण्ड आन्दोलन के उस उफान को सम्हाले रखना

2014 में डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट द्वारा लिखा गया यह लेख उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का जीवंत दस्तावेज है. बीस वर्ष…

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गुप्त वंश तथा कुमाऊं भाग-1

कुषाण शासन के विघटन के उपरान्त उत्तर भारत में जिन राजाओं ने अपने छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य स्थापित किए उनमे से…

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हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने 15

1930 तक हल्द्वानी अपनी छोटी सी बसासत के साथ विभिन्न क्षेत्रों से आकार बस गए लोगों का केंद्र बन गया…

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ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास – 2

[पिछली कड़ी का लिंक : ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास – 1] 1900 से पूर्व अल्मोड़ा की एक मात्र रामलीला…

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‘अपनी धुन में कबूतरी’ वृत्तचित्र का प्रदर्शन

(जगमोहन रौतेला की रपट) कुमाउनी लोकजीवन के ऋतुरैंण, न्योली, छपेली, धुस्का व चैती आदि विभिन्न विधाओं की लोकप्रिय लोकगायिका रही…

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गोलू देवता की कहानी

ग्वल्ल ज्यू की जन्म भूमि ग्वालियूर कोट चम्पावत थी. इस ग्वालियूर कोट में चंद वंशी राई खानदान का राज्य था…

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ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास

चंदवंशी राजा बालो कल्याण चंद ने जिस अल्मोड़ा शहर को 1563 में बसाया, उसी अल्मोड़ा शहर के स्व. देवी दत्त…

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कुमाऊं कमिश्नर ट्रेल के तीन अच्छे काम

ट्रेल कुमाऊँ के दूसरे कमिश्नर रहे. उन्हीं के नाम पर पिथौरागढ़ और बागेश्वर के बीच के दर्रे को ट्रेल पास…

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हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 14

भैरव मंदिर से आगे कि ओर जहाँ गुरुद्वारा है, उसके पीछे की गली जो कसेरा लाइन से दूसरी ओर मिलती…

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