समाज

तब कुछ ऐसी हुआ करती थी पाली पछाऊँ के लोगों की जीवनचर्या

सर्वप्रथम पाली पछाऊँ शब्द की व्युत्पत्ति कत्यूरी शासन काल में हुई. उत्तराखण्ड में कत्यूरी शासनकाल के दौरान कत्यूरी शासकों की…

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पशुपतिनाथ के उन्मुक्त एवं कीर्तिमुख भैरव के साथ काल भैरव

भैरव शिव के उग्र रूप हैं. पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू में भैरव के दो स्वरूपों उन्मुक्त भैरव व कीर्तिमुख भैरव के…

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सिद्ध साधकों की कर्मस्थली : उत्तराखंड

उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौन्दर्य आध्यात्मिक शान्ति का जन्मदाता रहा है. उच्च हिमाच्छादित शिखर, कल-कल करती हुई धवल नदियाँ और देवभूमि…

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पहाड़ों में तीर्थ यात्रा और पर्यटन- डॉ. गोविन्द चातक का पुराना लेख

कुट्टनीमतम् में कहा गया है कि जो लोग भ्रमण न कर के जन-जन के वेश, शील और वार्तालाप का ज्ञान…

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आज से लगेगा जौलजीबी का मेला

अब तो यह बीते बरसों की बात रही पर कभी जौलजीबी का मेला इलाके का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला हुआ…

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माहवारी के दिनों में नहाने पर पांच हज़ार रुपए तक का जुर्माना

कहने को तो माहवारी प्रकृति की देन है, परन्तु लोगो ने इसे परंपरा से ऐसा बांधा है कि यह गांठ खुलने…

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वीर भड़ माधो सिंह भंडारी की कहानी

एक सिंह रैंदो बण, एक सिंग गाय काएक सिंह 'माधोसिंह' और सिंह काहे का(Madho Singh Bhandari) जिन रणबांकुरे श्री माधोसिंह…

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कुमाऊं में दीवाली का आखिरी दिन होता है आज

आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन है. उत्तराखंड के गावों में कार्तिक महीने की एकादशी बड़ी पावन मानी…

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इगास बग्वाल के दिन भैला खेलने का विशिष्ट रिवाज है

इगास बग्वाल के दिन भैला खेलने का विशिष्ठ रिवाज है. यह चीड़ की लीसायुक्त लकड़ी से बनाया जाता है. यह…

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जोहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वर्तमान का अतीत में समाहित होकर भविष्य में उजागर होना ही इतिहास है. यह आलेख, शिलालेख, गुहा चित्र, ताम्र पत्र,…

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