बरसात के बाद मौसम में पहाड़ हरी लम्बी घास से लद जाते हैं. इस घास का प्रयोग यहां के लोग…
वर्ष 1913 एक दिन, करीब 8 बजे जब मैं किच्छा में एक स्कूल का निरीक्षण कर रहा था, एक अध्यापक…
सी. डब्लू. मरफी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊँ’ (1906) से आप अनेक दिलचस्प विवरण पढ़ चुके हैं.…
पिछले कुछ सालों से उत्तराखण्ड के युवाओं द्वारा लोक संगीत को नए कलेवर में पेश करने का चलन देखने में…
आज सरकार, समाज सभी हरेला को केवल पर्यावरण से जोड़ने की जुगत में लगे हैं. इसमें सभी के अपने फायदे…
आलू-पालक, आलू-जीरा, आलू-टमाटर, आलू-मटर, दमा आलू और भी अनेकों ऐसी सब्ज़ियां हैं जो बिना आलू के अधूरी हैं. आज आलू…
कहते हैं बुज़ुर्गों की डांट-फटकार बच्चों के लिए जीवन का सबब होती थी.मां की डांट को बच्चे नज़रअंदाज़ कर जाते…
बरसों पहले कोकूकोट में कोकू रावत नाम का एक राजा हुआ करता था. राजा कोकू की सात रानियां थी लेकिन…
माना जाता है कि चंद साम्राज्य की राजधानी चम्पावत से डुंगरियाल-नेगी जातियों से सम्बन्ध रखने वाले कुछ परिवार अपना मूल…
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में अवस्थित सीमान्त व्यांस घाटी के पहले गाँव बूदी से गर्ब्यांग तक की…