परम्परा

कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग 1

लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए…

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रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 1

कुमाऊॅं (उत्तराखण्ड) में प्रचलित रामलीला सम्भवतः संसार का एक मात्र ऐसा गीत नाट्य है जो ग्यारह दिनों तक लगातार क्रमशः…

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रिखणीखाल में है ताड़केश्वर महादेव का मंदिर

जनपद पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल विकासखण्ड से लगभग पच्चीस किलोमीटर बांज तथा बुरांश की जंगलों के बीच चखुलियाखांद से लगभग…

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केओ कार्पिन के संग मौत का खेल

केओ कार्पिन के संग मौत का खेल - प्रिय अभिषेक कुछ चीज़ें ज़िन्दगी में किसी धूमकेतु की तरह आती हैं.…

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देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी

देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी का मंदिर पिथौरागढ़ जनपद में उसके मुख्यालय से 55 किलोमीटर तथा डीडीहाट से 23…

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औषधियां उगाकर हो सकता है पहाड़ों का आर्थिक विकास

औषधीय पादप कृषि और उत्तराखंड उत्तराखंड भारत का नवीनतम हिमालयी राज्य होने के साथ-साथ इस वर्ष 2018 में वयस्क यानी…

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गंगनाथ ज्यू की कथा

गंगनाथ ज्यू काली नदी के पार डोटीगढ़ के रहने वाले थे. कांकुर उन की राजधानी थी. उनके पास डोटीगढ़ की…

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ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास – 2

[पिछली कड़ी का लिंक : ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास – 1] 1900 से पूर्व अल्मोड़ा की एक मात्र रामलीला…

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‘अपनी धुन में कबूतरी’ वृत्तचित्र का प्रदर्शन

(जगमोहन रौतेला की रपट) कुमाउनी लोकजीवन के ऋतुरैंण, न्योली, छपेली, धुस्का व चैती आदि विभिन्न विधाओं की लोकप्रिय लोकगायिका रही…

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गोलू देवता की कहानी

ग्वल्ल ज्यू की जन्म भूमि ग्वालियूर कोट चम्पावत थी. इस ग्वालियूर कोट में चंद वंशी राई खानदान का राज्य था…

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