इतिहास

महात्मा गाँधी का कौसानी प्रवासमहात्मा गाँधी का कौसानी प्रवास

महात्मा गाँधी का कौसानी प्रवास

भारत की आजादी के आन्दोलन में उत्तराखण्ड के कुमाऊं का स्वर्णिम योगदान रहा है. 1921 के कुली बेगार जैसे आन्दोलनों…

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नमक सत्याग्रह और नैनीतालनमक सत्याग्रह और नैनीताल

नमक सत्याग्रह और नैनीताल

12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने साबरमती से डांडी यात्रा प्रारंभ कर दी. डांडी यात्रा में उत्तराखंड से तीन…

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बिनसर में इटली का संतबिनसर में इटली का संत

बिनसर में इटली का संत

लम्बे धवल केश और वैसी ही लम्बी धवल दाढ़ी वाले उस खूबसूरत अंगरेज़ को देखकर किसी को भी धोखा हो…

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सोलहवीं सदी में बागेश्वर गए थे गुरु नानकदेव जीसोलहवीं सदी में बागेश्वर गए थे गुरु नानकदेव जी

सोलहवीं सदी में बागेश्वर गए थे गुरु नानकदेव जी

उत्तराखण्ड में सिख सम्प्रदाय का प्रसार -1 सिख मत के साथ उत्तराखंड का संपर्क इसके प्रवर्तक गुरु नानकदेव जी के…

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जब हल्द्वानी के जंगलों में कत्था बनाने की भट्टियां लगती थीजब हल्द्वानी के जंगलों में कत्था बनाने की भट्टियां लगती थी

जब हल्द्वानी के जंगलों में कत्था बनाने की भट्टियां लगती थी

[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी के कुछ पुराने परिवार] नरोत्तम शारदा पहाड़ से आने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के कारोबारी हुआ करते थे.…

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कुमाऊं का बारदोली था सल्ट का खुमाड़कुमाऊं का बारदोली था सल्ट का खुमाड़

कुमाऊं का बारदोली था सल्ट का खुमाड़

कुलीबेगार से पहले कुमाऊं में सामाजिक हलचल: वर्ष 1942 में खुमाड़ सल्ट तथा सालम में जिस विद्रोह का प्रस्फुटन हुआ,…

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2 सितम्बर का मसूरी गोली काण्ड : राज्य आंदोलनकारियों के खिलाफ़ एक सुनियोजित घटना2 सितम्बर का मसूरी गोली काण्ड : राज्य आंदोलनकारियों के खिलाफ़ एक सुनियोजित घटना

2 सितम्बर का मसूरी गोली काण्ड : राज्य आंदोलनकारियों के खिलाफ़ एक सुनियोजित घटना

खटीमा के बाद बारी थी मसूरी की. 1 सितंबर 1994 की शाम को मसूरी झूलाघर स्थित नगरपालिका के पास के…

7 years ago

सिकुड़ते गॉंव, दरकते घर, ख़बर नहीं, कोई खोज नहीं

यह आलेख हमें हमारे पाठक कमलेश जोशी ने भेजा है. यदि आप के पास भी ऐसा कुछ बताने को हो…

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राज्य आन्दोलनकारियों का मनोबल तोड़ने की पहली कोशिश थी खटीमा गोली काण्डराज्य आन्दोलनकारियों का मनोबल तोड़ने की पहली कोशिश थी खटीमा गोली काण्ड

राज्य आन्दोलनकारियों का मनोबल तोड़ने की पहली कोशिश थी खटीमा गोली काण्ड

1994  के बाद उत्तराखंड आन्दोलन में जबरदस्त जनउभार देखने को मिला. 1 सितंबर 1994 को खटीमा में करीब दस हजार…

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मौजूदा दौर में मौजूं एक किताब की समीक्षा : ‘न्यूरेमबर्ग मुकदमा-एक रिपोर्ट’मौजूदा दौर में मौजूं एक किताब की समीक्षा : ‘न्यूरेमबर्ग मुकदमा-एक रिपोर्ट’

मौजूदा दौर में मौजूं एक किताब की समीक्षा : ‘न्यूरेमबर्ग मुकदमा-एक रिपोर्ट’

- मनमीत  उत्तराखंड के मौजूदा जुझारू युवा पत्रकारों में मनमीत एक हैं. देहरादून में एक दैनिक अख़बार में नौकरी करते…

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