इतिहास

देहरादून के कालसी में चक्रवर्ती सम्राट अशोक का शिलालेख

देहरादून से कालसी की ओर जाते हुये कालसी से कुछ दूर पहले यमुना नदी से एक छोटी से नदी मिलती…

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जब हल्द्वानी में पहली बार आई बिजली

1949-50 से पहले हल्द्वानी में सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिये अधिकतर जगहों पर कैरोसिन तेल के लैम्प जलाये जाते थे.…

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1850 तक एक भी पक्का मकान नहीं था हल्द्वानी में

दस्तावेजों में हल्द्वानी का जिक्र 1824 में मिलता है जब उस साल हैबर नाम का एक अंग्रेज पादरी बरेली से…

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नंदा देवी की मान्यताएं, इतिहास और नंदा देवी मेला

शायद ही किसी पर्वत से देशवासियों का इतना जीवन्त रिश्ता हो जितना नंदादेवी से उत्तराखंड क्षेत्र के लोगों का है.…

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कुमाऊँ के बेताज बादशाह सर हेनरी रैमजे

भारत में अंग्रेज़ लोग लगभग दो सौ साल तक रहे जिसमें कि ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन काल सौ वर्षों…

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डॉ शिवप्रसाद डबराल : जिन्होंने अपनी जमीन बेचकर भी उत्तराखंड का इतिहास लिखा

छः वर्षों तक सूरदास बने रहने के कारण लेखन कार्य रुक गया था. प्रकाशन कार्य में निरंतर घाटा पड़ने से…

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तब कुत्ता टैक्स भी देना होता था नैनीताल में

आज जब नैनीताल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अनेक स्तरों पर जूझ रहा है यह देखना दिलचस्प होगा कि…

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क्या कालिदास का जन्मस्थान उत्तराखंड में है?

कालिदास विश्व में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले लेखकों में हैं. उनकी पुस्तक अभिज्ञानशाकुन्तलम पहली भारतीय पुस्तक है जिसका किसी यूरोपीय…

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हेमवती नंदन बहुगुणा: राजनीति के शिखर पर पहाड़ का सितारा

भारतीय राजनीति में हेमवंती नंदन बहुगुणा को चाणक्य का दर्जा दिया जाता है. उन्हें दूरदर्शी, जनप्रिय नेता माना जाता है.…

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कुमाऊँ-गढ़वाल में बाघ के बच्चे को मारने का दो रुपये ईनाम देती थी क्रूर अंग्रेज सरकार

आज जब कि सारी दुनिया में वन्यजीवों को बचाने के लिए आन्दोलन चलाये जा रहे हैं और सरकारें ‘बाघ बचाओ’…

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