इतिहास

ऐतिहासिक रहा है चनौदा का गांधी आश्रम

1929 में महात्मा गांधी ने कुमाऊं की यात्रा की थी. 22 दिनों की इस यात्रा में उनका लक्ष्य क्षेत्रीय स्तर…

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‘अम टो मिस्टर हो गया अब यूरप जाना मांगटा है’ – उत्तराखंड के स्वाधीनता संग्राम का एक अनछुआ पहलू

1920 का दशक था. भारत में उन दिनों स्वतन्त्रता आन्दोलन बहुत तेजी से फ़ैल रहा था. राष्ट्रीय चेतना अपने पाँव…

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पटरंगवाली: अफवाह जिसके फैलने से रेशम पर चटख रंग चढ़ता

पटौव्वा रंगवाली, पटवाली या पटरंगवाली शब्द का मतलब है अफवाह. इसकी उत्पत्ति 758-778 ई. में चंद शासक इन्द्रचंद के शासनकाल…

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कुमाऊं के पहाड़ों में ऐसे लोग हैं जिनके पंख होते हैं और जो उड़ भी सकते हैं : बदायूंनी

रुद्रचंद, चंद शासकों में सबसे शक्तिशाली शासक के रूप में जाना जाता है. रुद्रचंद के शासन काल में ही चंद…

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जब पिथौरागढ़ का सारा सरकारी कामकाज बजेटी से चलाया जाता था

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का जब भी इतिहास लिखा गया है तब एक सामान्य धारणा यह बनाने की रही है…

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मसूरी का इतिहास

उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के पहाड़ी कस्बे मसूरी को पहाड़ों की राजधानी भी कहा जाता है. मसूरी उत्तराखण्ड का सबसे…

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कुमाऊं के इतिहास का सबसे बड़ा कूटनीतिज्ञ हर्ष देव जोशी

चम्पावत के तत्कालीन राजा दीप चंद के दीवान थे हर्ष देव जोशी. एक किंगमेकर, कूटनीतिज्ञ, प्रशासक, सैन्य अधिकारी और अतीव…

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अल्मोड़ा के राम सिंह धौनी ने की थी ‘जयहिंद’ नारे की शुरुआत

'जय हिंद' का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस या किसी अन्य ने नहीं बल्कि अल्मोड़ा (उत्तराखंड) के जैंती निवासी और…

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उस ज़माने के अफ़सर ऐसे हुआ करते थे : कुमाऊं कमिश्नर पर्सी विंडहैम का किस्सा

वर्ष 1913 एक दिन, करीब 8 बजे जब मैं किच्छा में एक स्कूल का निरीक्षण कर रहा था, एक अध्यापक…

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120 साल पहले ऐसे जाते थे काठगोदाम-नैनीताल से अल्मोड़ा

सी. डब्लू. मरफी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊँ’ (1906) से आप अनेक दिलचस्प विवरण पढ़ चुके हैं.…

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