इतिहास

15 अगस्त स्पेशल : कुमाऊं-गढ़वाल से आजादी की लड़ाई की दुर्लभ तस्वीरें

भारत के स्वाधीनता संग्राम में कुमाऊँ-गढ़वाल का बड़ा योगदान रहा था. कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में इस पर्वतीय क्षेत्र के…

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लम्बी धोती और छोटी धोती के नखरे

जैसा की देश भर में होता है कुमाऊं में भी ब्राह्मणों के अंदर जातीय वरिष्ठता होती है. जिसे मोटे तौर…

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शहीद ऊधम सिंह की पुण्यतिथि पर

ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में स्थित एक जिला है जो 1995 से पूर्व नैनीताल जिले का ही…

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आजादी की जंग में उत्तराखंड में इन महिलाओं सबसे पहले जेल भेजा गया था

वर्ष 1930. नैनीताल में विमला देवी, जानकी देवी साह, शकुन्तला देवी (मूसी), भागीरथी देवी, पद्मा देवी जोशी तथा सावित्री देवी…

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एक जमाने में डाकुओं का गढ़ था भाबर

बदरीदत्त पाण्डे ने 'कुमाऊँ का इतिहास' में ऐतिहासिक सामग्री के आधार पर बयान किया है कि पहाड़ में जो गंभीर…

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कत्यूर: उत्तराखण्ड का सबसे वैभवशाली साम्राज्य

उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल के जिला बागेश्वर में गोमती और सरयू नदी के बीच फैली घाटी को कत्यूर घाटी के…

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आज से सौ साल पहले केवल एक प्राइमरी स्कूल था हल्द्वानी में

1914-15 में हल्द्वानी में जिला परिषद नैनीताल द्वारा संचालित केवल एक प्राथमिक पाठशाला थी. 1913-14 में इसमें 45 छात्र थे.…

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“हीराडुंगरी रम्य प्रदेसा” – अल्मोड़ा के इतिहास का एक दिलचस्प पन्ना

उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम और बीसवीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों में अल्मोड़ा में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किये गए लन्दन मिशन…

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आजादी के वक्त कुल डेढ़ हजार मकान थे समूचे हल्द्वानी-काठगोदाम में

सन 1947 में हल्द्वानी-काठगोदाम नगरपालिका क्षेत्र में अधिकतम 39 मोहल्ले और 1608 मकान थे. एक हाईस्कूल, एक डाक्टर वाला नागरिक…

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कुमाऊं के रं समाज को जानने के लिए बहुत जरूरी है चार्ल्स शेरिंग की किताब

चार्ल्स शेरिंग की किताब ‘वेस्टर्न तिब्बत एंड ब्रिटिश बॉर्डरलैंड’ साल 1906 में लन्दन के एडवर्ड आर्नल्ड प्रकाशन ने छापी थी.…

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