संस्कृति

देवीधार का मेला

यह लोकोत्सव कुमाऊं के चम्पावत जनपद में लोहाघाट से लगभग 3 किमी पूर्व एक पहाड़ की तलहटी में स्थित शिवालय…

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गुरुनानक की सिद्धियों का प्रतीक है नानकमत्ता

यह गुरुद्वारा उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित है. नानकमत्ता जिला मुख्यालय रुद्रपुर से टनकपुर जाने वाली सड़क में…

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देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी

देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी का मंदिर पिथौरागढ़ जनपद में उसके मुख्यालय से 55 किलोमीटर तथा डीडीहाट से 23…

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गंगनाथ ज्यू की कथा

गंगनाथ ज्यू काली नदी के पार डोटीगढ़ के रहने वाले थे. कांकुर उन की राजधानी थी. उनके पास डोटीगढ़ की…

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सरयू आज भी सिसकती है – कुसुमा की त्रासद लोककथा

सुसाट मन को कपोरता है. लग जाता है एक उदेख जिसके अंदर कुहरा जाती है बाली कुसुमा की ओसिल कहानी.…

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ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास – 2

[पिछली कड़ी का लिंक : ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास – 1] 1900 से पूर्व अल्मोड़ा की एक मात्र रामलीला…

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विष्णु खरे: बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया

विष्णु जी नहीं रहे. हिंदी साहित्य संसार ने एक ऐसा बौद्धिक खो दिया, जिसने ‘बिगाड़ के डर से ईमान’ की बात…

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‘अपनी धुन में कबूतरी’ वृत्तचित्र का प्रदर्शन

(जगमोहन रौतेला की रपट) कुमाउनी लोकजीवन के ऋतुरैंण, न्योली, छपेली, धुस्का व चैती आदि विभिन्न विधाओं की लोकप्रिय लोकगायिका रही…

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गोलू देवता की कहानी

ग्वल्ल ज्यू की जन्म भूमि ग्वालियूर कोट चम्पावत थी. इस ग्वालियूर कोट में चंद वंशी राई खानदान का राज्य था…

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ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास

चंदवंशी राजा बालो कल्याण चंद ने जिस अल्मोड़ा शहर को 1563 में बसाया, उसी अल्मोड़ा शहर के स्व. देवी दत्त…

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