ललित मोहन रयाल

भाबर नि जौंला…

मौसमी परिवर्तनों के चलते आई कठिनाइयां रहीं हों या रोजगार, काम-धाम की तलाश, शीत ऋतु शुरू होते ही परंपरागत पर्वतीय…

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क्वी त् बात होलि

https://www.youtube.com/embed/S-Q8YOdkaIA सुदि त क्वी नि देखदु कै सणी... विशुद्ध रूप से चेष्टा-भाव पर आधारित इस गीत में युवती की चेष्टाओं…

1 year ago

फूलदेई के बहाने डांड्यौं कांठ्यूं का मुलुक…

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ऐसे चितेरे कवि-गायक हैं जो अपने गीतों में लोकजीवन, लोक-संस्कृति के साथ कुदरत का समूचा चित्र…

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सिनेमा का शौक और शब्दभेदी वरदान

उस समय फिल्मों का इतना क्रेज हुआ करता था कि लड़के खुद को रोक नहीं पाते थे. किसी भी छत…

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अविस्मरणीय कथाकार शेखर जोशी को श्रद्धांजलि

बीती 30 सितंबर को प्रतुल जोशी जी से मुलाकात हुई. वे कथाकार पिता के प्रतिनिधि के तौर पर द्वितीय विद्यासागर…

2 years ago

पुस्तक समीक्षा – भंवर: एक प्रेम कहानी

भंवर: एक प्रेम कहानी- अनिल रतूड़ी का हाल ही में प्रकाशित उपन्यास है. उपन्यास में लेखक ने लोक-जीवन से भरपूर…

2 years ago

दिलचस्प है गढ़वाल मंडल में यातायात व्यवस्था का इतिहास

चारधाम यात्रा का मुख्य द्वार होने के चलते ऋषिकेश को ट्रांसपोर्ट नगरी भी कहा जाता है. आज के सूचना प्रौद्योगिकी…

2 years ago

जब सुल्ताना डाकू ने कालीकमली वाले बाबा को पांच सौ रुपए चढ़ावा दिया

तब यातायात के साधन सुलभ नहीं थे. उस समय इन दुर्गम पर्वतीय तीर्थों की यात्रा करना अति कठिन कार्य था.…

2 years ago

त’आरुफ़ : कोतवाल का हुक्का

ज़ाहिर सी बात है 'कोतवाल का हुक्का' शीर्षक कहानी-संग्रह में प्रतिनिधि कहानी तो 'कोतवाल का हुक्का' ही होगी. इसके अलावा…

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लोकप्रिय सिनेमा में ऋषिकेश

रियासत-काल में रास्ते दुरुह-दुर्गम थे. तब भी चारधाम यात्रा तो चलती ही थी. सन् 1880 में परिव्राजक विशुद्धानंद जी, जिन्हें…

2 years ago