शाम सामने वाले गदेरों को सुरमई बना रही थी. स्वीली घाम (शाम को ढलते सूरज की हल्की पीली रोशनी) दीवा…
दादी तू ये बता कि शिवजी भगबान ओ दूर बरफ़ वाले पहाड़ में क्यों रहते हैं.उनके पास हमारे जैसा घर…
मुझे अक्सर अपने दादा, दादी, चाचियाँ, माँ बहुत याद आते हैं. आप कहेंगे इसमें नई बात क्या है. अपनी जिंदगी…
छी भै ये बूढ़े लोग भी न, बहुत तंग कर देते हैं. जब कुछ काम नहीं कर सकते तो आराम…
कथाएं लगाने और सुनने सुनाने की कोइ उम्र नहीं होती. तो लीजिये मेरी कथा लगाने की, सुनने की कड़ी में…
छोटी दादी रंगत में थी बोली आओ रै छोरों आज तुम्हे ऐसे बामण की कथा लगाउंगी जो न्यूत के बुलाया…
चौमास बीता. श्राद्ध भी बीत गए. आस पास के बृत्ति ब्राह्मणों के साथ घर के बड़े बूढ़े, कच्चे बच्चे सब…
कार्तिग के महीने गांव के ऊपर नीचे की सारियां फसल काटने के बाद खाली हो जाती. आसमान बरसात के बाद…
बरसाती झड़ी की एक सुबह से मैंने दादी से रट लगाई दूध का हलवा बना. वो बोली आज पिस्युं नी…
बर्फ पड़ने के बाद की सुरसुराहट अब कम होने लगी थी. डाँडी-काँठी में जमा ह्यूं सर्दीले घाम के मद्धिम ताप…