कला साहित्य

समस्याओं के घाट पर पाँच साल से तौलिया लपेटे खड़े हैं आप और हम

जिसके हम मामा हैं - शरद जोशी एक सज्जन बनारस पहुँचे स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता…

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महादेवी वर्मा का उत्तराखण्ड प्रेम

(महादेवी वर्मा : 26 मार्च 1907 -- 11 सितम्बर 1987) हमेशा श्वेत वस्त्र धारण करने, आजीवन सख्त तखत पर सोने…

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कैरिबियन के भारतीयों का चटनी संगीत

चटनी संगीत का उद्भव दक्षिणी कैरिबियाई इलाक़े में हुआ था - सबसे पहले त्रिनिडाड एन्ड टोबैगो में १९वीं सदी में…

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हाथी के बदले गधा खरीदने वाले को नमस्कार

भारतेंदु हरिश्चन्द्र के कालजयी नाटक अन्धेर नगरी की शुरुआत में लिखी गई हैं ये पंक्तियां - छेदश्चंदनचूतचम्पकवने रक्षा करोरद्रुमेः हिंसा…

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अल्मोड़ा से राइटर बनने माया नगरी पहुँचे दो पहाड़ियों का किस्सा डेढ़ यार

अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – पहली क़िस्त पहले अल्मोड़ा से अपनी मीट की दुकान से भागकर मुंबई पहुंचे…

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सपने में भी सच न बोलना, वर्ना पकड़े जाओगे

बाबा नागार्जुन की एक पुरानी कविता (Poem of Baba Nagarjun) सच न बोलना मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने…

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उत्तराखण्डी लोकसंस्कृति की अलख बनते और नयी उम्मीद जगाते युवा

आज जहाँ पलायन उत्तराखण्ड की प्रमुख समस्या बना हुआ है वहीँ कुछ युवा ऐसे भी हैं जिनमें महानगरों के सुविधाजनक…

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एक थे गुलशन नंदा

एक थे गुलशन नंदा. हिन्दी में पल्प फिक्शन उर्फ लुगदी साहित्य के सबसे ज़्यादा बिकने वाले लेखक. अपने दौर, 60…

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इस शहर के लोग उनको रोज़ जूतों से कुचल कर चले जाते है

शिखर गोयल की कविताएं शिखर गोयल का जन्म 1993 में दिल्ली में हुआ. इनकी नज्में कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं…

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जन्माष्टमी पर विशेष: नज़ीर अकबराबादी की नज़्म “यारो सुनो ये ब्रज के लुटैया का बालपन”

आज से कोई तीन सौ बरस पहले आगरे में एक बड़े शायर हुए नज़ीर अकबराबादी. नज़ीर अकबराबादी साहब (१७४०-१८३०) उर्दू…

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