कला साहित्य

विष्णु खरे: बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया

विष्णु जी नहीं रहे. हिंदी साहित्य संसार ने एक ऐसा बौद्धिक खो दिया, जिसने ‘बिगाड़ के डर से ईमान’ की बात…

6 years ago

लेट्स गो डच – अंग्रेज़ी भाषा का एक पहलू ये भी

कॉक्नी लन्दन के कामगारों की विचित्र लेकिन कल्ट बन चुकी भाषा है. इतिहास की दृष्टि से आमतौर पर मज़दूरों के…

6 years ago

नहीं रहे विष्णु खरे

[हिन्दी के वरिष्ठ  कवि और प्रतिष्ठित सम्पादक-अनुवादक विष्णु खरे का आज निधन हो गया. अनेक भाषाओं के ज्ञाता और संगीत-सिनेमा…

6 years ago

मेरा दिल खोजता है उसे और वह नहीं है मेरे पास

बीसवीं सदी के सबसे बड़े कवियों में शुमार किये जाने वाले पाब्लो नेरूदा का पहला काव्य संग्रह था 'वेइन्ते पोएमास…

6 years ago

चिपको आन्दोलन के प्रभावों को साफगोई से सामने रखता दावानल

सन 2008 में प्रकाशित चर्चित उपन्यास 'दावानल' मैं कई बार पढ़ चुका हूँ. इसे पढ़ने में हर बार एक नया…

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कामसूत्र से कुछ सबक

कामसूत्र से कुछ सबक - महमूद दरवेश आसमानी प्याले के साथ उसका इन्तज़ार करो ख़ुशबूदार ग़ुलाबों के बीच वसन्त की…

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मॉल चलो भई मॉल चलो: नए बखत का शहरी गाना

चिंटू –चिन्नी, पापा –मम्मी साथ में उनके बाबा–ईजा तोंद–पोंद से लटक रहे थे जाने कितने बर्गर–पीजा हफ्ते भर की भूख…

6 years ago

शैलेश मटियानी एक लेखक का नाम है

विधाता जब किसी को भरपूर प्रतिभा देता है तो उसके साथ ऐसी विसंगतियाँ भी जोड़ देता है कि उसके लिए…

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एक थी ओरियाना फ़ल्लाची

इटली की ओरियाना फ़ल्लाची (२९ जून १९२९-१५ सितम्बर २००६) पत्रकारिता की दुनिया में विश्वविख्यात नाम है. बाद के दिनों में…

6 years ago

द नेम इज़ बॉन्ड, रस्किन बॉन्ड

जो भी मसूरी आता है, उनके बारे में पूछता है, कहां रहते हैं, कैसे दिखते हैं और यहां तक कि…

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