आहा, तो बड़ी पुरानी बात होगी. एक कस्बे में खूब बड़ा सेठ रहा करता था. एक दिन उसकी सेठानी को…
मौत को लेकर हम आतंकित थे कि जब वह आदमी मरेगा तो यह सारी झंझट होगी कि क्या कहाँ कैसे…
भँवर एक प्रेम कहानी, हाल ही में प्रकाशित उपन्यास है. उत्तराखण्ड के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक, अनिल रतूड़ीजी, इस कृति के…
गाँव के अपने घर से निकल कर मंदिर की ओर का रास्ता लेता हूँ . वापिस देहरादून लौटने के पहले…
उन दिनों दूध की तकलीफ थी. कई डेरी फर्मों की आजमाइश की, अहीरों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं. दो-चार…
ऐसा शायद ही कोई महीना जाता कि अलारक्खी के वेतन से कुछ जुरमाना न कट जाता. कभी-कभी तो उसे ६)…
भंवर: एक प्रेम कहानी- अनिल रतूड़ी का हाल ही में प्रकाशित उपन्यास है. उपन्यास में लेखक ने लोक-जीवन से भरपूर…
अब तो मण्डी में रेल, बिजली और मोटर सभी कुछ हो गया है पर एक ज़माना था, जब यह सब…
मौसमे-बहार के फलों से घिरा बेहद नज़रफ़रेब1 गेस्टहाउस हरे-भरे टीले की चोटी पर दूर से नज़र आ जाता है. टीले…
चौधरी इतरतअली ‘कड़े’ के बड़े जागीरदार थे. उनके बुजुर्गों ने शाही जमाने में अंग्रेजी सरकार की बड़ी-बड़ी खिदमत की थीं.…