सिनेमा : एक सदी बाद भी बरकरार है रुपहले परदे का तिलिस्म

6 years ago

आखिरकार 1895 में पेरिस के लुमिये भाइयों द्वारा आविष्कृत सिनेमा का माध्यम मूलत दृश्यों और ध्वनियों के मेल का ऐसा…

हमारे ज़माने का एक अद्वितीय बड़ा कवि – वीरेन डंगवाल पर विष्णु खरे

6 years ago

वीरेन डंगवाल (5.8.1947,कीर्ति नगर,टिहरी गढ़वाल – 28.9.2015, बरेली,उ.प्र.) हिंदी कवियों की उस पीढ़ी के अद्वितीय, शीर्षस्थ हस्ताक्षर माने जाएँगे जो…

फ़ितूर सरीखा एक पक्का यक़ीन

6 years ago

आज वीरेन डंगवाल की चौथी पुण्यतिथि है. हिन्दी कविता और पत्रकारिता में अपनी ख़ास जगह रखने वाले इस महान व्यक्ति…

गढ़वाल रायफल्स और प्रथम विश्व युद्ध

6 years ago

प्रथम विश्व युद्ध में गढ़वालियों ने अपना पराक्रम दिखाकर देश को ही नहीं बल्कि दुनिया को चकित कर दिया था. मेरठ…

तकसीम: मंटो की कहानी

6 years ago

  सआदत हसन मंटो (1912-1955) उर्दू के सबसे विख्यात अफसानानिगारों में शामिल हैं. उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएं भी लिखीं.…

ई.यू. के साथ बुरे समझौते से बेहतर है कि कोई समझौता न हो

6 years ago

चार्लेमागेन के दौर से यूरोपीय संघ तक एकीकृत यूरोप का विचार लगातार जारी रहा. लेकिन इसकी वजह अलग-अलग समय पर…

जब अब्दुल रशीद कारदार ने बनाईं एक साल में तीन फ़िल्में

6 years ago

होली, पागल और पूजा तीनों 1940 में अब्दुल रशीद कारदार की बनाई तीन फ़िल्में हैं. अब्दुल रशीद कारदार की सिनेमाई…

पिघलता हिमालय, दरकता मानव अस्तित्व

6 years ago

उत्तराखण्ड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग का असर साफ तौर पर देखा जा सकता है. भारतीय वन्यजीव संस्थान…

अध्यात्म और विपश्यना का यथार्थवाद

6 years ago

विपश्यना अध्यात्म का यथार्थवाद है. यहां न आत्मा है, न ईश्वर और न कोई सच्चिदान्द. ध्यान में उतरने के लिए…

साझा कलम: 4 – अनुराग उप्रेती

6 years ago

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर…