Featured

तकसीम: मंटो की कहानी

 

सआदत हसन मंटो (1912-1955) उर्दू के सबसे विख्यात अफसानानिगारों में शामिल हैं. उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएं भी लिखीं. उनकी कहानियों में आम आदमी के जीवन संघर्ष और उसकी जटिल मानसिक लड़ाइयां मुखर होकर सामने आती हैं. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे को विषयवस्तु बनाकर लिखी उनकी कथाएँ अब कल्ट मानी जाती हैं. इनमें टोबा टेक सिंह, खोल दो, बू वगैरह प्रमुख हैं. बंबई के उनके संस्मरणों के किताब ‘मीनाबाज़ार’ उस विधा की क्लासिक्स में गिनी जाती है. वर्तमान समय में वे एक ज़रूरी और पठनीय लेखक हैं.

 

 

एक आदमी ने अपने लिए लकड़ी का एक बड़ा संदूक़ मुंतख़ब किया जब उसे उठाने लगा तो वो अपनी जगह से एक इंच भी न हिला.

एक शख़्स ने जिसे शायद अपने मतलब की कोई चीज़ मिल ही नहीं रही थी संदूक़ उठाने की कोशिश करने वाले से कहा, “मैं तुम्हारी मदद करूं?”

संदूक़ उठाने की कोशिश करने वाला इमदाद लेने पर राज़ी होगया. उस शख़्स ने जिसे अपने मतलब की कोई चीज़ मिल नहीं रही थी. अपने मज़बूत हाथों से संदूक़ को जुंबिश दी और उठा कर अपनी पीठ पर धर लिया…दूसरे ने सहारा दिया…दोनों बाहर निकले.

संदूक़ बहुत बोझल था. उसके वज़न के नीचे उठाने वाले की पीठ चटख़ रही थी. टांगें दोहरी होती जा रही थीं मगर इनाम की तवक़्क़ो ने इस जिस्मानी मशक़्क़त का एहसास नीम मुर्दा कर दिया था.

संदूक़ उठाने वाले के मुक़ाबले में संदूक़ को मुंतख़ब करने वाला बहुत ही कमज़ोर था. सारा रस्ता वो सिर्फ़ एक हाथ से सहारा दे कर अपना हक़ क़ायम रखता रहा. जब दोनों महफ़ूज़ मक़ाम पर पहुंच गए तो संदूक़ को एक तरफ़ रख कर सारी मशक़्क़त बर्दाश्त करने वाले ने कहा, “बोलो. इस संदूक़ के माल में से मुझे कितना मिलेगा.”

संदूक़ पर पहली नज़र डालने वाले ने जवाब दिया, “एक चौथाई.”

“बहुत कम है.”

“कम बिल्कुल नहीं ज़्यादा है…इसलिए कि सबसे पहले मैंने ही इस पर हाथ डाला था.”

“ठीक है, लेकिन यहां तक इस कमर तोड़ बोझ को उठा के लाया कौन है?”

“आधे आधे पर राज़ी होते हो?”

“ठीक है…खोलो संदूक़.”

संदूक़ खोला गया तो उसमें से एक आदमी बाहर निकला. हाथ में तलवार थी. बाहर निकलते ही उसने दोनों हिस्सादारों को चार हिस्सों में तक़सीम कर दिया.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

3 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

5 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

6 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

20 hours ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

2 days ago