चट्टान से गिरकर अकाल मृत्यु को प्राप्त पहाड़ी घसियारिनों को समर्पित लोकगाथा ‘देवा’

4 years ago

बहुत सुन्दर गाँव था. खूब गधेरा पानी. अपनी बंजाणी घना जंगल और थी उसी गाँव में एक सुन्दर निर्मल झरने…

जिनके बिना भवाली का इतिहास अधूरा है

4 years ago

ब्रिटिश शासन के दौरान ही भवाली के पास नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर लगभग एक किमी की दूरी पर वर्ष 1912 में…

ख्वाड़: ईजा द्वारा अपने बच्चे के लिये बनाई जाने वाली एक दुनिया

4 years ago

महिलायें पहाड़ में जीवन की रीढ़ हैं. महिलायें न होती तो पहाड़ दशकों पहले बंजर हो जाते. संघर्ष से भरे…

बौधाण: पहाड़ियों के जानवरों का लोकदेवता

4 years ago

आंगन में बिना जानवरों के पहाड़ में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. जानवर उनके जीवन में दिन और…

विलुप्त होती अपनी लोक भाषाओं को हमें ही बचाना होगा

4 years ago

अभी हाल में अखबारों में प्रकाशित खबर पढ़ने को मिली कि उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश की भाषाओं-गढ़वाली, कुमाउनी तथा…

ज़ेन गुरू ने यूं सिखाया शिष्य को सबक

4 years ago

 हिंदी की एक बहुत प्रचलित कहावत है – बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता. इस बात की सत्यता को लेकर संदेह…

भविष्य: एक पहाड़ी लोहार की कहानी

4 years ago

रतखाल की दुकानों से लौटे हरकराम गुमसुम से बैठे हैं. वहाँ से आते वक्त ही पैर टूटने लगे थे. दो…

26 बरस बाद भी उत्तराखंड के सीने पर मुजफ्फरनगर गोलीकाण्ड के घाव हरे हैं

4 years ago

“जो घाव लगे और जाने गयीं वे प्रतिरोध की राजनीति की कीमत थी”,1996 में इलाहबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवि…

जब अंग्रेज ने ताऊजी को कुमाऊनी में दिया झटका

4 years ago

हम उन्हें ताऊजी कहते थे परंतु हमारी इजा की दीदी के श्रीमान होने के नाते दिल्ली की देसी भाषा में…

भोटान्तिक अर्थव्यवस्था और हूण देश से व्यापार

4 years ago

इतिहास के पुराने पन्नों में गंगा के मैदानों से हिमालय की गगनचुम्बी उपत्यकाओं की ओर अपने पशुओं के साथ बढ़ती…