पंचेश्वर बांध से आशंका में रिवर गाइड और टूर ऑपरेटर्स

जैसे-जैसे पंचेश्वर बांध को लेकर कवायद आगे बढ़ रही है, इसने पंचेश्वर में महाकाली और सरयू नदियों में साहसिक पर्यटन से रोजगार चला रहे टूर ऑपरेटर्स और गाइड्स को आशंकाओं में डाल दिया है। टूर ऑपरेटर्स का कहना है कि जैसे ही बांध का काम शुरू हो जाएगा वे, रिवर राफ्टिंग, कयाकिंग, कैंपिंग और एंगलिंग जैसी गतिविधियां नहीं कर पाएंगे और इसका सीधा असर उनके रोजग़ार पर पड़ेगा।

पंचेश्वर : जैसे-जैसे पंचेश्वर बांध को लेकर कवायद आगे बढ़ रही है, इसने पंचेश्वर में महाकाली और सरयू नदियों में साहसिक पर्यटन से रोजगार चला रहे टूर आॅपरेटर्स और गाइड्स को आशंकाओं में डाल दिया है। टूर आॅपरेटर्स का कहना है कि जैसे ही बांध का काम शुरू हो जाएगा वे, रिवर राफ्टिंग, कयाकिंग, कैंपिंग और एंगलिंग जैसी गतिविधियां नहीं कर पाएंगे और इसका सीधा असर उनके रोजग़ार पर पड़ेगा।

पंचेश्वर ​फिशिंग रिट्रीट चला रहे प्रशान्त बिष्ट कहते हैं, ”हमें कुछ नहीं मालूम कि बांध का काम शुरू होने के बाद हमारा क्या होगा। यहां दर्जनों लोग हैं ​जो​ कि रिवर और फिशिंग गाइड के बतौर ट्रेंड हैं। वे गांवों से पलायन करने के बजाय इससे ही अपना रोजगार चलाते हैं। लेकिन जैसे ही बांध बनाकर नदी की धारा रोक दी जाएगी, वे अपने इस ​हुनर का क्या करेंगे?”

पिछले कुछ समय से पंचेश्वर उत्तराखंड में सा​हसिक पर्यटन के लिए एक प्रतिनिधि जगह बन कर उभरा है। यहां रिवर राफ्टिंग, कयाकिंग, एंगलिंग, फिशिंग और अन्य साहसिक पर्यटन से जुड़े खेल कराए जाते हैं। सरकार भी इन खेलों का बढ़ावा देने की कवायद करती रही है। कुमाउं मंडल विकास निगम ने पंचेश्वर में नदी आधारित साहसिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए कई आयोजन किए हैं।

प्रशांत बिष्ट बताते हैं कि पीक सीज़न में यहां मौजूद अधिकतर कैंप्स विदेशी पर्यटकों से भरे रहते हैं। पंचेश्वर में रिवर और फिश गाइड के बतौर लाइसेंस धारी 46 व​र्षीय राज गढ़कोटी भी आशंका से घिरे हैं। वे कहते हैं, ”मैं इस उम्र में अब कोई दूसरा काम नहीं तलाश सकता। अगर बांध बनने से मेरा रोज़गार प्रभावित होगा तो मैं कहां जाउंगा? क्या करूंगा?” गढ़कोटी आगे कहते हैं, ”कुमाउं में महाकाली नदी ही राफ्टिंग के लिए सबसे अधि​क उपयुक्त है। इसकी ढलानें और मोड़ ऋषिकेश में गंगा से भी अधिक चुनौती पूर्ण हैं। साथ ही यहां विलुप्तप्राय महाशीर मछली भी मिलती है। ये दोनों ही खासियतें बांध बनने के साथ ही डूब जाएंगी।”

एक अन्य टूर गाइड गणेश कहते हैं, ”कई स्थानीय लोग अपनी आजीविका महाकाली से कमाते हैं। इन सबको डुबोने की तैयारी चल रही है। य​ह निराश करने वाली बात है।”

उधर कुमाउं मंडल विकास निगम के अधिकारी भी मानते हैं कि प्रस्तावित बांध का इन टूर आॅपरेटर्स पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि बांध बन जाने से दूसरी संभावनाएं भी खुलेंगी। केएमवीएन के प्रबंध निदेशक धिराज़ गर्बयाल कहते हैं, ”बांध बनने से राफ्टिंग की गतिविधियों पर तो असर पड़ेगा लेकिन बांध की झील में कयाकिंग, कैनॉइंग आदि खेलों की संभावना खुलेगी।”

भारत और नेपाल की सीमा पर महाकाली नदी में प्रस्तावित 311 मीटर ऊँचा पंचेश्वर बांध दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा बांध होगा जिसकी क्षमता परियोजना की डीपीआर के ​मुताबिक 5040 मेगावॉट बताई गई है। इस बांध के लिए बनाई जा रही झील का आकार 116 वर्ग किलोमीटर होगा जो कि उत्तराखंड के सबसे बड़े टिहरी बांध, से तकरीबन तीन गुनी होगी। यह परियोजना 1996 में भारत और नेपाल के बीच हुए हुई महाकाली संधि की एक मुख्य परियोजना है।

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

1 day ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

1 day ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

2 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

3 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

3 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago