समाज

कुमाऊं में है कत्यूर कालीन ‘आदि बदरीनाथ’ का मंदिर

यह सुनने और पढ़ने में जरुर अटपटा है पर हकीकत यह है कि मूल बदरीनाथ गढ़वाल के अंश कुमाऊं में भी मौजूद हैं. रानीखेत तहसील से लगभग 25 किमी दूर कुंवाली गांव में कत्यूरकालीन आदि बदरीनाथ का मंदिर है. इस मंदिर की स्थापत्य कला मूल बद्रीनाथ से मेल खाती है. यहां सीरसागर में विश्राम करते भगवान विष्णु, लंबोदर गणेश,नरसिंह और वराह के साथ ही मानवमुखी गरुड़ आदि मूर्तियां हैं. यहां मौजूद सभी मूर्तियां कुमाऊं में नवीं सदी की समृद्ध मूर्तिकला की मिसाल हैं.
(Adi Badrinath Temple Kumaon)

स्थानीय मान्यता के अनुसार मूल बदरीनाथ की सेवा के लिये कत्यूरकाल में कुमाऊं-गढ़वाल के गावों को गोद लिया गया था. इन गावों के जमींदार वर्ष की तीन फसलों में से एक को मूल बदरीनाथ भेजते थे. कुंवाली स्थित आदि बदरीनाथ के विषय में पुजारी अंबादत्त पाडे बताते हैं – मूल बदरीनाथ (गढ़वाल) की ही तरह आदि बद्रीनाथ में भी विशुद्ध अनाज यानी दाल व चावल के भोग एवं पूजा अर्चना का नियम बना हुआ है. आदि बदरीनाथ में पांडे और जोशी परिवार से 17 पुजारी हैं. इन पुजारियों की एक-एक सप्ताह के लिये नियमित पूजा के उद्देश्य से बारी लगती है.
(Adi Badrinath Temple Kumaon)

यह समूह तीन मन्दिरों को मिलाकर बना है, जिनमें प्रमुख मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है. भगवान विष्णु की यहां पर बद्रीनाथ के रूप में पूजा होती है. गर्भगृह, अंतराल और मण्डप युक्त पूर्वाभिमुखी यह मन्दिर में वर्तमान में मंडप विहीन है. सामने से कुंभ-कलश और कपोट पटिका एवं उसके ऊपर शिखर दिखायी देता है.

मंदिर के शिखर में भूमि आमलक और कलश है. यहां स्थित काले पत्थर की विष्णु की मूर्ति की पूजा होती है. इस मूर्ति में पर अंकित सम्वत 1105 है. प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर मन्दिर निर्माण अवधि सन् 1048 शताब्दी ई. निर्धारित की गई है. परिसर में दो और लघु देवालय भी हैं जिनमें एक देवी लक्ष्मी को समर्पित है तथा दूसरा मूर्ति विहीन है. सभी मूर्तियां स्थानीय दुर्लभ ग्रीन ग्रेनाइट पत्थर से तैयार की गई हैं जो कत्यूरकालीन मूर्तिकला की देन है.
(Adi Badrinath Temple Kumaon)

संर्दभ : ASI देहरादून की वेबसाईट और दैनिक जागरण इनपुट.

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

23 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

1 week ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago