सुधीर कुमार

झलतोला हिमालय का करीबी दोस्त है

पिथौरागढ़ के बेड़ीनाग कस्बे से एक गुमनाम गाँव झलतोला के लिए कच्ची-पक्की सड़क जाती है. इस सफ़र पर आगे बढ़ते हुए हिमालय आपके साथ लगातार चलता रहता है. झलतोला से एक पगडण्डी आपको लम्ब्केश्वर की पहाड़ी तक ले चलती है. झलतोला से ही डरावने होने की हद तक घना बांज के जंगल को यह पगडण्डी चीरती चलती है. इस बांज के घने जंगल में चिड़ियों, जंगली मुर्गियों के बसेरे हैं. जंगली जानवरों से मुठभेड़ कोई हैरत की बात नहीं. जंगल की आहटें और ठंडी हवा की सरसराहट वातावरण को रूहानी बना देती है. कुछ दूर चलने के बाद आप महान खोजी,अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार नैन सिंह रावत की एस्टेट पर पहुँच जाते हैं, जो आजकल इनके वारिसों के स्वामित्व में है. यहाँ उनका एक वीरान बंगला आपका स्वागत करता है. इस दौरान हिमालय आपके और ज्यादा करीब होता जाता है. जैसे-जैसे आप चढ़ाई चढ़ते जाते हैं हिमालय आपसे दोस्ती करने के लिए हाथ बढाता है. समूचा पहाड़ चढ़ने के बाद आप ऐसी पहाड़ी पर पहुँच जाते हैं जहाँ से आगे रास्ता ख़त्म होता है और गहरी खाई है. लेकिन अब तक आप हिमालय के दोस्त बन चुके होते हैं. इसी सफ़र का एक फोटो निबंध…

सुधीर कुमार हल्द्वानी में रहते हैं. लम्बे समय तक मीडिया से जुड़े सुधीर पाक कला के भी जानकार हैं और इस कार्य को पेशे के तौर पर भी अपना चुके हैं. समाज के प्रत्येक पहलू पर उनकी बेबाक कलम चलती रही है. काफल ट्री टीम के अभिन्न सहयोगी.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

View Comments

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago