पिथौरागढ़ के बेड़ीनाग कस्बे से एक गुमनाम गाँव झलतोला के लिए कच्ची-पक्की सड़क जाती है. इस सफ़र पर आगे बढ़ते हुए हिमालय आपके साथ लगातार चलता रहता है. झलतोला से एक पगडण्डी आपको लम्ब्केश्वर की पहाड़ी तक ले चलती है. झलतोला से ही डरावने होने की हद तक घना बांज के जंगल को यह पगडण्डी चीरती चलती है. इस बांज के घने जंगल में चिड़ियों, जंगली मुर्गियों के बसेरे हैं. जंगली जानवरों से मुठभेड़ कोई हैरत की बात नहीं. जंगल की आहटें और ठंडी हवा की सरसराहट वातावरण को रूहानी बना देती है. कुछ दूर चलने के बाद आप महान खोजी,अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार नैन सिंह रावत की एस्टेट पर पहुँच जाते हैं, जो आजकल इनके वारिसों के स्वामित्व में है. यहाँ उनका एक वीरान बंगला आपका स्वागत करता है. इस दौरान हिमालय आपके और ज्यादा करीब होता जाता है. जैसे-जैसे आप चढ़ाई चढ़ते जाते हैं हिमालय आपसे दोस्ती करने के लिए हाथ बढाता है. समूचा पहाड़ चढ़ने के बाद आप ऐसी पहाड़ी पर पहुँच जाते हैं जहाँ से आगे रास्ता ख़त्म होता है और गहरी खाई है. लेकिन अब तक आप हिमालय के दोस्त बन चुके होते हैं. इसी सफ़र का एक फोटो निबंध…
सुधीर कुमार हल्द्वानी में रहते हैं. लम्बे समय तक मीडिया से जुड़े सुधीर पाक कला के भी जानकार हैं और इस कार्य को पेशे के तौर पर भी अपना चुके हैं. समाज के प्रत्येक पहलू पर उनकी बेबाक कलम चलती रही है. काफल ट्री टीम के अभिन्न सहयोगी.
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