योगेश साह, राजा साह और विजय मोहन खाती – 21 मार्च 1976 को ये तीन नौजवान नैनीताल से विश्व यात्रा पर निकले. अमृतसर से काबुल और वापसी का हवाई टिकट घर वालों ने खरीद कर दिया जिसमें करीब बारह सौ रुपये लगे. विदेश यात्रा करने के लिए बैंक से उन दिनों आधिकारिक रूप से तीस डॉलर प्रति व्यक्ति मिलते थे. इनके पास काबुल पहुँचने पर कुल सात-सात डॉलर बचे थे. इसी रकम से इन्होंने हिच-हाइकिंग करते हुए पूरे 9 माह विदेशी भूमि में बिताए, 10 मुल्कों का भ्रमण किया और 5 विभिन्न प्रकार के कार्य करके पैसा भी कमाया. इस यात्रा में इन्हें अनेक राष्ट्रों के फ्रीक्स के साथ रहने का अवसर मिला.
(World Tour Hitchhiking 1976)
वे कभी विमान में बैठे, कभी पानी के जहाज और स्टीमर में, उन्होंने कभी ट्रकों में यात्रा की तो कहीं खूबसूरत विदेशी कारों में, कभी-कभी उन्हें गधों पर बैठने का भी सौभाग्य मिला तो कभी आधुनिक किस्म की रेलों में. अक्सर उन्हें पैदल ही चलना पड़ा. बड़े सपने ऐसे ही तत्वों से बने होते हैं. इन्हीं में से एक यायावर योगेश दा ने उस यात्रा की कुछ तस्वीरें उपलब्ध कराईं. विजय मोहन खाती ने इस यात्रा का एक विवरण कुछ साल पहले लिखा था जो काफी पहले कभी नैनीताल समाचार में प्रकाशित भी हुआ था. इसे ढूंढ सकना अब असंभव था लेकिन हरीश पन्त और शम्भू राणा के सौजन्य से उसकी मूल प्रति हासिल हो गई. इस दुर्लभ और प्रेरक वृत्तान्त को हम काफल ट्री पर क्रमवार लगाया गया था. इस पोस्ट में इस पूरी सीरीज को एक साथ पढ़िये:
(World Tour Hitchhiking 1976)
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