Featured

ईवीएस… ईवीएस होता है, इसमें हम ईवीएस पढ़ते हैं

हाल ही में एक सज्जन के घर खाने पर उनके पुत्र से मुलाक़ात हुई. एक आम भारतीय की तरह मेहमान देखते ही ख़ुद मदारी बन बच्चे से मानसिक गुलाटी करवाने का दौर शुरू हुआ. इस दौरान बच्चे के हमेशा 100 में 100 अंक लाने जैसे मंत्रों का जाप भी शुरू हो गया. करीब पांच एक मिनट के कार्यक्रम के बाद बच्चे को उसकी मां ने यह कहकर दुसरे कमरे में यह भेजते हुए कहा कि कल इसका इवीएस का पेपर है तो पढ़ाई करनी है. एक साथी ने मां से पूछ लिया ये ईवीएस क्या होता है. मां ने बाप का मुंह तांका बाप ने बच्चे का और बच्चे ने बड़ा शानदार जवाब दिया

ईवीएस… ईवीएस होता है. इसमें हम ईवीएस पढ़ते हैं.

कुछ साल पहले दिल्ली के एक जानेमाने स्कूल में आठवीं कक्षा के एक बच्चों से बातचीत का एक मौका मिला. उन दिनों ब्लैक होल अन्तराष्ट्रीय चर्चा का विषय था. हमारे कक्षा में जाने से पहले ही उनके टीचर उनसे कुछ सवाल जवाब कर रहे थे. हमारे कक्षा में पहुंचने पर उन्होंने एक बच्चे को खड़ा किया और पूछा टैल मी वट डू यू अंडरस्टैंड बाई ब्लैक होल. अगले पांच मिनट फर्राटेदार अंग्रेजी में ब्लैक होल के संबंध में बच्चे ने जो जवाब दिया उतनी डिटेल और शानदार जानकारी कम से कम मैंने कभी नहीं सुनी थी.

टीचर ने क्लास से निकलते हुए हमें बताया कि वह उनकी क्लास का सालों से सौ बट्टे सौ वाला बच्चा है. हमारा काम था बच्चों के बीच एक सामान्य समझ को बढ़ावा देना. एक बेसिक परिचय के बाद हमने कुछ सवाल बच्चों से पूछे जैसे कि दूध कहां से आता है? आटा कैसे बनता है?

हमारे पहले सवाल का अधिकांश बच्चों का उत्तर था मदर डेयरी और दूसरे सवाल का उत्तर था कारखाने में बनता है. ब्लैक होल के बारे में शानदार जानकारी रखने वाले बच्चे का भी यही उत्तर था. इस दौरान हमें पूरे स्कूल में कुल तीन बच्चे मिले जिन्हें पेड़ मालूम था कि पेड़ कैसे लगता है.

मुझे आठवीं तक पर्यावरण एक विषय के रूप में पढ़ाया गया है और छठी से आठवीं तक हर रोज पर्यावरण पढ़ाने वाले गुरूजी हम में से किसी एक से पालीथीन में समोसा या चाट मंगवाते थे. मुझे अपने शहर में पालीथीन पर रोक पर चले आंदोलन से पहले दिन अपने पर्यावरण के अध्यापक की घोषणा आज भी याद है. स्कूल से छूटते हुए उन्होंने कुछ इस तरह की एक घोषणा की थी :

पौलोथिन के बढ़ते प्रयोग के विरोध में कल सुबह हम शहर भर में एक जूलूस निकालने जा रहे हैं. कोई भी बालक अपना बस्ता नहीं लायेगा. अपना टिफ्फन और एक बोतल पानी पौलोथिन के एक झोले में डाल ले आना.

भारत का शायद ही कोई शिक्षित ऐसा होगा जिसने अपने जीवन में पर्यावरण पर निबंध न लिखा हो. अंग्रेजी हो या हिंदी माई बेस्ट फ्रैंड, दिवाली अ फेस्टिवल ऑफ़ लाइट और द काऊ के बाद पर्यावरण ऐसा विषय है जिसपर सबसे ज्यादा कलम घसीटी जाती है. बचपन से जिसपर हम लिख रहे हैं उस पर्यावरण के हम कितने नज़दीक हैं इसे हम से बेहतर कोई नहीं जान सकता.

पर्यवारण दिवस के नाम पर आज हम अपने बच्चों को पेड़, पृथ्वी, धरती, फूल और न जाने क्या क्या बनाकर स्कूल भेजेंगे. जहां आपके बच्चों से भी पर्यावरण पर निबंध लिखवाया जायेगा और वो वही निबंध लिख आयेंगे जो आपने कभी लिखा था. लेकिन कभी अपने बच्चों को पेड़ कैसे लगता है, कैसे फूल और फिर उसके फल बनते हैं. पेड़ों को बचाना कितना जरुरी है पर बात नहीं करते.

कुल मिलाकर पर्यावरण हमारे लिये हमेशा एक वैकल्पिक विषय रहा है जिसे दिन विशेष पर उत्साह के साथ जश्न के रुप में मनाया जाता है. हमारी शिक्षा पद्धति पर्यावरण के प्रति हमारा कोई भावनात्मक लगाव ही पैदा नहीं करती है और जब तक भावात्मक लगाव नहीं होगा तब तक आप कितने ही विश्व पर्यावरण दिवस मना लीजिये जमीनी हक़ीकत नहीं बदलने वाली.

– गिरीश लोहनी

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • काफल ट्री के सभी आलेख अच्छे लगते हैं पर ज्वलंत समस्याओं पर लिखे आलेख आपकी जागरूकता को दर्शाते हैं।

  • Achee lekh kripa kar uttrakhand k religious places or nagaro k baare m kuch vistaar se likhe ...

Recent Posts

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

16 hours ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

19 hours ago

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

5 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

1 week ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago