महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनतीं ग्रामीण महिलाएं

जिंदगी की चुनौतियों से निबटने का जज्बा हो तो आप खुद के साथ कई औरों की जिंदगी में भी उम्मीद और हौसला भर देते हैं. अपनी मेहनत और लगन से खुद की ही नहीं दसियों अन्य महिलाओं की भी जिंदगी में रोशनी भर देने वाली रजनी देवी की कहानी कुछ ऐसी ही है. उनके द्वारा घर की अर्थव्यवस्था में हाथ बटाने की गरज से शुरू किया गया सिलाई का काम आज एक उद्यम का रूप लेता दिख रहा है. आज वह खुद का ही नहीं 35 अन्य महिलाओं के स्वावलंबन का भी संबल बन चुकी हैं.

हल्द्वानी भवाली मार्ग पर ज्योलीकोट से कुछ आगे तल्ला गेठिया में रहने वाली रजनी देवी ने आज से पांच साल पहले कपड़ों की सिलाई का काम शुरू किया. बाद में उन्होंने अपने घर में ही एक सिलाई सेंटर शुरू कर आसपास के गाँवों की महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण भी देना शुरू कर दिया. ज्योलीकोट से भवाली के बीच पड़ने वाले गाँवों की सैंकड़ों महिलाओं को रजनी अब तक प्रशिक्षण दे चुकी हैं. इन गाँवों में इस तरह के प्रशिक्षण केंद्र काफी उपयोगी हुआ करते हैं, खास तौर से महिलाओं के लिए जिन्हें शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए घर से दूर नहीं जाने दिया जाता.

कुछ महीनों पहले रजनी ने मन बनाया कि कुछ ऐसा काम शुरू किया जाय जिससे होने वाली आमदनी उनके ही नहीं आसपास के गाँवों की अन्य महिलाओं के स्वावलंबन का भी जरिया बन सके. उन्होंने कर्त्तव्य कर्मा ट्रस्ट की मदद से अपने पुराने सिलाई के काम को कुछ नए उत्पाद बनाने की तरफ मोड़ दिया. रजनी ने आसपास की 35 से अधिक महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह बनाया. इस समूह ने उन उत्पादों को बनाना शुरू किया जिनकी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग है.

उन्होंने हैण्डमेड कपड़े से बैग, ज्वैलरी, पर्स इत्यादि बनाने का काम शुरू किया. आज रजनी के सेंटर में राम झोला, बुद्धा बैग, कृष्णा बैग, हैण्ड पर्स जैसे कई उत्पाद बनाये जा रहे हैं. समूह की महिलाएं पारंपरिक ज्वैलरी के क्षेत्र में भी अद्भुत प्रयोग करते हुए कपडे से ही गुलोबंद, पौंची आदि बनाती हैं. इनमें इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा हाथ से बना होता है और उसमें प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल किया जाता है. इस काम का शुरूआती प्रशिक्षण उन्हें ट्रस्ट द्वारा मुहैय्या करवाया गया. अब समूह के सञ्चालन में हाथ बंटाने वाली उनकी बेटी नेहा एक कुशल कारीगर, ज्वैलरी डिजाइनर होने की साथ ही अच्छी प्रशिक्षक भी है. समूह से जुड़ने वाली महिलाओं को नेहा ही प्रशिक्षण देती है. इनके उत्पादों का मुंबई, बंगलौर, दिल्ली जैसे महानगरों में अच्छा बाजार है. उत्पादों की मार्केटिंग भी कर्तव्य कर्मा ट्रस्ट के द्वारा की जाती है. समूह का कुशलता से सञ्चालन कर रहीं रजनी ग्राम सभा गेठिया की उपप्रधान भी हैं. रजनी और उनका समूह महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनता जा रहा है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

6 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

7 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

9 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

23 hours ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

2 days ago