1929 में महात्मा गांधी की नैनीताल यात्रा का एक दृश्य. फोटो : शेखर पाठक की पुस्तक ‘ सफरोशी की तमन्ना ‘ से साभार
भारत के इतिहास में 12 मार्च का दिन ख़ास है. आज ही के दिन 1930 को महात्मा गांधी ने डांडी मार्च शुरु किया था. साबरमती से शुरु इस पैदल यात्रा के शुरु होने के बाद महात्मा गांधी भारत आजाद होने के बाद ही वापस साबरमती लौटे.
साबरमती से डांडी तक यात्रा कर महात्मा गांधी ने नमक बनाया. नमक कानून तोड़ने के साथ ही भारत में सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरु हो गया.
साबरमती से महात्मा गांधी के साथ नमक कानून तोड़ने के लिए 78 लोग चुने गये थे. इन 78 सत्याग्रहियों में उत्तराखंड से तीन सत्याग्रही शामिल हुये. कुमाऊं देघाट (अल्मोड़ा) के ज्योतिराम कांडपाल, पैठाना गांव के भैरवदत्त जोशी और देहरादून के खडग बहादुर सिंह को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था.
भैरव दत्त को बीमार हो जाने के कारण घर लौटना पड़ा. ज्योतिराम काण्डपाल पैठाना गांव के रहने वाले थे. ज्योतिराम काण्डपाल और खडग बहादुर सिंह डांडी मार्च के बाद नमक कानून तोड़ने के अपराध में महात्मा गांधी के साथ जेल गये थे.
नमक कानून भंग करने के बाद 6 अप्रैल से 13 अप्रैल का सप्ताह राष्ट्रीय सप्ताह मनाया गया. महात्मा गांधी ने अवैध नमक लाने या बनाने, मदिरालयों, अफीम की दुकानों और विदेशी कपड़ा व्यापारियों की दुकानों पर धरना देना, विदेशी कपड़ा जलाने और सरकारी स्कूलों कॉलेजों एवं नौकरियों के परित्याग का आह्वान किया.
कुमाऊं में राष्ट्रीय सप्ताह मनाने के उदेश्य से गोविन्द वल्लभ पन्त के सभापतित्व में हल्द्वानी में एक विराट सभा हुई. जब पुलिस को इस सभा की सूचना मिली तो दो पुलिस इंस्पेक्टर पिस्तौल लटकाये हुए मंच के एक तरफ कागज़ पेंसिल लेकर बैठ गये.
गोविन्द वल्लभ पन्त ने अपने भाषण में सरकार को चुनौती देते हुए कहा :
मैं गांधी जी द्वारा बताये गये तरीकों से सरकार को उलटने की पूरी कोशिश करूंगा. यदि गवर्नमेंट चाहे तो मुझे गिरफ्तार कर ले. यदि वह मुझे गिरफ्तार नहीं करती है तो यही समझूंगा कि इसमें भी कोई रहस्य है.
– काफल ट्री डेस्क
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