Featured

डांडी यात्रा में उत्तराखंड के सत्याग्रही

भारत के इतिहास में 12 मार्च का दिन ख़ास है. आज ही के दिन 1930 को महात्मा गांधी ने डांडी मार्च शुरु किया था. साबरमती से शुरु इस पैदल यात्रा के शुरु होने के बाद महात्मा गांधी भारत आजाद होने के बाद ही वापस साबरमती लौटे.

साबरमती से डांडी तक यात्रा कर महात्मा गांधी ने नमक बनाया. नमक कानून तोड़ने के साथ ही भारत में सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरु हो गया.

उत्तराखंड से डांडी में सत्याग्रही

साबरमती से महात्मा गांधी के साथ नमक कानून तोड़ने के लिए 78 लोग चुने गये थे. इन 78 सत्याग्रहियों में उत्तराखंड से तीन सत्याग्रही शामिल हुये. कुमाऊं देघाट (अल्मोड़ा) के ज्योतिराम कांडपाल, पैठाना गांव के भैरवदत्त जोशी और देहरादून के खडग बहादुर सिंह को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था.

भैरव दत्त को बीमार हो जाने के कारण घर लौटना पड़ा. ज्योतिराम काण्डपाल पैठाना गांव के रहने वाले थे. ज्योतिराम काण्डपाल और खडग बहादुर सिंह डांडी मार्च के बाद नमक कानून तोड़ने के अपराध में महात्मा गांधी के साथ जेल गये थे.

राष्ट्रीय सप्ताह की घोषणा

नमक कानून भंग करने के बाद 6 अप्रैल से 13 अप्रैल का सप्ताह राष्ट्रीय सप्ताह मनाया गया. महात्मा गांधी ने अवैध नमक लाने या बनाने, मदिरालयों, अफीम की दुकानों और विदेशी कपड़ा व्यापारियों की दुकानों पर धरना देना, विदेशी कपड़ा जलाने और सरकारी स्कूलों कॉलेजों एवं नौकरियों के परित्याग का आह्वान किया.

कुमाऊं में राष्ट्रीय सप्ताह

कुमाऊं में राष्ट्रीय सप्ताह मनाने के उदेश्य से गोविन्द वल्लभ पन्त के सभापतित्व में हल्द्वानी में एक विराट सभा हुई. जब पुलिस को इस सभा की सूचना मिली तो दो पुलिस इंस्पेक्टर पिस्तौल लटकाये हुए मंच के एक तरफ कागज़ पेंसिल लेकर बैठ गये.

गोविन्द वल्लभ पन्त ने अपने भाषण में सरकार को चुनौती देते हुए कहा :

मैं गांधी जी द्वारा बताये गये तरीकों से सरकार को उलटने की पूरी कोशिश करूंगा. यदि गवर्नमेंट चाहे तो मुझे गिरफ्तार कर ले. यदि वह मुझे गिरफ्तार नहीं करती है तो यही समझूंगा कि इसमें भी कोई रहस्य है.

– काफल ट्री डेस्क

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago