उत्तराखंड राज्य के विषय में अक्सर कहा जाता है कि इस राज्य के लोग पिछले दो दशकों से बस ठगे गये. बात इस हद तक बढ़ गयी है कि अब तो दावा किया जाने लगा है कि ठगने का खेल ओलम्पिक में आया तो स्वर्ण, रजत और कास्य भारत की झोली में आयेंगे. जिस तरह बिना आग के धुंवा नहीं उठता उसी तरह यह दावा भी हवा में नहीं किया जाता. दैनिक अख़बार हिन्दुस्तान में छपी दो खबरों को पढ़कर इस राज्य की असल स्थिति पता चलती है.
(Uttarakhand News)
पहली खबर कुमाऊं का द्वार कहे जाने वाले काठगोदाम से है. नैनीताल जिले में स्थित काठगोदाम में साल 2020 से 2.91 करोड़ का एक प्रोजेक्ट गुड़गांव की एक कम्पनी कर रही है. प्रोजेक्ट के तहत कम्पनी को रानीबाग में 12,812 वर्ग फीट भूमि पर विद्युत शवदाह गृह बनाने का काम मिला. जिसका लोकार्पण बीते 30 नवम्बर को मुख्यमंत्री द्वारा कर दिया गया है लेकिन शवदाह गृह अब तक काम में नहीं लाया जा सका है.
खबर के अनुसार गुड़गांव की प्राइवेट कम्पनी के दो एक्सपर्ट शवदाह गृह का संचालन करने के लिये भी बुला लिये गये हैं लेकिन प्रोजेक्ट फ़िलहाल ठप है. प्रोजेक्ट ठप होने के पीछे तर्क है कि शवदाह गृह का ट्रायल करने के लिये लावारिस लाश खोजी जा रही है.
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दूसरी खबर बागेश्वर से है. इस खबर के अनुसार 108 एंबुलेंस का चालक और अन्य कर्मी नशे में धुत होकर गाड़ी में सो गये और मरीज को सड़क पर छोड़ दिया. जिला अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा अल्मोड़ा रिफर किया गया यह मरीज रात के 10 बजे अल्मोड़ा को रवाना किया गया. 7 किमी बाद चालक हरीश उप्रेती और चन्द्रशेखर जोशी ने शराब पी और एंबुलेंस में आकर सो गये.
बाद में स्थनीय नेता और प्रशासनिक अधिकारियों के दखल के बाद मरीज को अल्मोड़ा रवाना किया गया. मामले का संज्ञान लेते हुए सीएमओ ने दोनों कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है.
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नोट– दैनिक अख़बार हिन्दुस्तान में छपी भानु जोशी और बागेश्वर संवादाता की रपट के आधार पर.
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