पिथौरागढ़ जिले में हो रहे छात्रों के पुस्तक शिक्षक आन्दोलन पर जहां आज विश्व भर की नजर है उस पर उत्तराखंड सरकार गैर-जरूरी बयान जारी कर भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है. उत्तराखंड सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने अपने हालिया बयान में कहा है कि कॉलेज में 102 शिक्षक हैं जो बहुत अधिक हैं. हकीकत यह है कि कॉलेज में पूर्णकालिक शिक्षकों की संख्या केवल 63 है. (pithoragrah student fighting for books)
यूजीसी के मानकों के अनुसार स्नातक स्तर पर पच्चीस विद्यार्थियों पर एक शिक्षक और स्नातकोत्तर स्तर पर पंद्रह विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की व्यवस्था को आदर्श माना गया है इस लिहाज से देखा जाय तो पिथौरागढ़ महाविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है.
पर्याप्त शिक्षकों के साथ-साथ जो दूसरी मांग रही है वह है बेहतर पुस्तकों की आपूर्ति की. महाविद्यालय में न केवल किताबों की भारी कमी है बल्कि सवाल किताबों की गुणवत्ता का भी है. वर्तमान में जहाँ महाविद्यालय के पुस्तकालय में आधिकारिक रूप से किताबों की संख्या 1,11,308 है लेकिन इनमें से तकरीबन 15,000 किताबें ही उपयोग लायक हैं. इस ही वजह से हर एक छात्र-छात्रा को पुस्तकालय से सालाना केवल दो ही पुस्तक उपलब्ध हो पाती हैं. शेष किताबों में से बहुसंख्या में किताबें दशकों पुरानी हैं व कटी-फटी, दीमक लगी होने के चलते उपयोग में लाये जाने योग्य नहीं हैं. सेमेस्टर प्रणाली लागू हो जाने के बाद बड़ी संख्या में कुछ विषयों की किताबें नए पाठ्यक्रम की दृष्टि से अनुपयोगी हो चुकी हैं.
इस तरह से वर्तमान में महविद्यालय को सत्तर हजार से अधिक गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों की तत्काल आवश्यकता है. साथ ही हर साल लाइब्रेरी के लिए एक सालाना बजट की व्यवस्था किये जाने की भी जरूरत है. यह आश्चर्य की बात है कि महाविद्यालय में पुस्तकालय के लिए फीस से ली जाने वाली छोटी सी धनराशी के अलावा किसी भी तरह के बजट की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसी व्यवस्था न होने के चलते ही पुस्तकों की खरीद के लिए निर्भरता सांसद निधि या विधायक निधि जैसे फंडों पर ही है.
पुस्तकालय के लिए फीस के रूप में ली जाने वाली धनराशी से हर वित्तीय वर्ष में होने वाली खरीद महाविद्यालय के लिए अपर्याप्त ही साबित होती है. उदहारण के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 3688 पुस्तकों की ही खरीद महाविद्यालय के लिए हो पायी है.
हर दिन बदलती दुनिया में नये ज्ञान का सृजन व अनुसन्धान होता रहता है. इस अद्यतन ज्ञान की प्राप्ति हेतु शोध पत्रों, नयी पुस्तकों, पत्रिकाओं, रिसर्च जर्नल्स की नियमित खरीद के लिए भी वार्षिक बजट बेहद आवश्यक हो जाता है.
-राकेश जोशी
मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले राकेश जोशी वर्तमान में पिथौरागढ़ छात्रसंघ के अध्यक्ष हैं.
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